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संस्कृति रीत

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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रक्षाबंधन विशेष….

भाई-बहन स्नेह से होता सुवासित संसार,
रक्षा-बंधन का ऐसा सुंदर त्योहार देखिए।

रीत अनुपम जी लाए है अनुपम उल्लास,
राखी कच्चा सूत है ऐसा विश्वास देखिए।

सजाए थाल राखी रोली मीठा जला दीप,
तकती प्यारी बहना राह भईया की देखिए।

स्नेह भाव बहना का लुभाए सुंदर अपार,
रोली-अक्षत से सजाए भैया का भाल देखिए।

द्रौपदी ने बाँधा फाड़ चीर प्रभु उँगलियों में,
कृष्णा ने लज्जा रक्षा कर्म निभाया देखिए।

अद्भुत राखी का है ये बंधन प्यारा पावन,
भूलें ना हम सब,है राखी अनमोल देखिए।

भाई-बहना स्नेह की साक्षी पावन राखी,
रिश्ता या मन का हो न्यारा बँधन देखिए।

राजा बलि रखे लक्ष्मी के राखी का सम्मान,
हुमायूँ ने किया मान रक्षा सुत का जी देखिए।

करिए सदा सम्मान राखी की रीत प्यारी-सी,
वर्णित पुराणों में श्रावणी पूर्णिमा रीति देखिए।

बालपन से युवा बुजुर्ग सबके हृदय स्नेह,
भाई-बहन का प्यारा बंधन,डोर लुभाए देखिए।

बहन करती राखी प्रभु को श्रद्धा से अर्पण,
माँगती भैया हो दीर्घायु सुख प्रभु से जी देखिए।

रक्षा करते हैं देश के सैनिक सीमा पे डटकर,
करे प्रार्थना बहना प्राण रक्षा हो भैया की देखिए।

संस्कृति हमारी भारत भूमि की है रक्षा-बंधन,
संकल्प स्नेह मान रक्षा-बंधन का त्योहार देखिए॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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