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मुख अलग-मन और

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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अंदर भर विष द्वेष के,बाहर झूठा प्यार,
मुख अलग मन और है,यह सारा संसार॥
देखे फलते-फूलते बढ़े,हृदय के घाव,
जब आ जाये सामने बनते सच्चे यार॥
देख दशा भरम आये,
जिया विचलित हो जाये॥

मीठी बोली सामने,ढोंग का सदाचार,
दौड़े पहनाने नये मोटी फूलन हार॥
तन-मन लगाय आग है,आप जलाये ताप,
मन में मनौती बिगाड़ की बाहर से जोहार॥
मन खिन्न हो अकुलाये,
द्वेषी जलन खिसियाये॥

दुर्जन सदा लगे गले ढोंग करे व्यवहार,
पर मोहक बात के,पीछे छिपे कटार॥
छाया पीछे नाग के,सकल खोल दे राज,
काली नागन भाव से,छोड़ो मेरे सरकार॥
तब जीवन हर्ष आये,
रोम रोम मुस्कराये॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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