साँस दे ज़िन्दगी को पवन
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* ज़िन्दगी ही न खुद की हुई,चाहती दूसरों को रही।बन्दगी जिस घड़ी सज गई,मांगती उस घड़ी कुछ नहीं। उम्र बचपन, जवानी, बनी,फिर बुढ़ापा मिले अनुभवी।साँस, धड़कन, चलातीं इन्हें,बिन दिखे साथ में बन रहें।मान मिलता मगर तब नहीं,छोड़ दे तो रुदन हो वहीं॥ज़िन्दगी ही न… वक्त जाकर पलटता नहीं,साथ में जो सही … Read more