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बदल रहा है आज जमाना

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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भौतिकता के नए दौर में,
बदल गया सब ताना-बाना।
रिश्तों की मर्यादा टूटी,
बदल रहा है आज जमाना॥

चौपालें सूनी हैं सारी,
संस्कारों का मान घटा है।
रिश्तों में अब पड़ी दरारें,
मानव अपने तक सिमटा है।
लाज-शर्म सब छूट गई अब,
बदल गया सब रहना खाना॥
बदल रहा है…

हॉट डॉग पिज्जा बर्गर ही,
करे पसंद युवा पीढ़ी अब।
छोड़ पीयूष गरल अपनाया,
दूध दही घी भूले हैं सब।
छोड़ दिया अब चूल्हा-चौका,
होटल ढाबों पर है खाना॥
बदल रहा है…

छोटे-छोटे वस्त्र पहनकर,
करे दिखावा नंगे तन का।
साड़ी को भी भूल गए अब,
करे प्रदर्शन खुल्लेपन का।
एकाकी जीवन है सबका,
काम करे सब ही मनमाना॥
बदल रहा है…

अच्छाई को छोड़ सभी अब,
नकल बुराई की करते हैं।
धन दौलत के पीछे दौड़े,
अनासक्ति का दम भरते हैं।
निर्बल का धन लूट लूटकर,
ध्येय है केवल धन कमाना॥
बदल रहा है…

माँ को कहने लगे ‘मॉम’ सब,
‘डैड’ पिता को कर डाला।
बाकी सब अंकल आंटी हैं,
सम्बंधों में है घोटाला।
स्वारथ के रिश्ते-नाते ही,
अब जीवन का है पैमाना॥
रिश्तों की मर्यादा टूटी,
बदल रहा है आज जमाना…॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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