महाष्टमी:माँ महागौरी देवी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* नवराता आराधना, नवदुर्गा नवरूप।आदिशक्ति दुर्गाष्टमी, दर्शन दिव्य अनूप॥ वंदन जगदम्बा चरण, वैदिक विधि उपचार।रिद्धि सिद्धि निधि नव विधा, सिद्धि दातृ उपहार॥ जवाकुसुम अपराजिता, गेंदा सुंदर फूल।बेलपात तृण दूर्व दल, रुचिकर माँ अनुकूल॥ पूजन माँ जगदम्बिका, महागौरी स्वरूप।श्रद्धा भक्ति चिन्तना, महिमा अम्ब अनूप॥ माता रानी अर्चना, करें मिटे दुर्भाव।धूप दीप … Read more

माँ महागौरी-८

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** अष्टम दुर्गा महागौरी माता परम पुनीता,दिव्य त्रिपुरसुंदरी राजराजेश्वरी ललितात्रिशूल, डमरू अभय वरमुद्रा चतुर्भुज,वृषभारूढ़ा, संहारे शुंभ, निशुंभ दनुज। माँ ने जब शिव प्राप्ति को तपव्रत धारा,वर्षों वर्ष अन्न-जल तज सहर्ष स्वीकारासघन तप अनल से देह हुई मेघ-श्याम,शिव ने स्वीकारा, दिया देवी गौरी नाम। तपस्विनी को महागौरी किए शिव अघोरी,शुभ्र वर्ण … Read more

माँ का स्मरण

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* नवरात्रि की पावन बेला,सुमिरो माँ जगजननी का नामकरुणा-ममता की मूरत वह,बिगड़े बनाएं सबके काम। अर्घ्य अर्पित करो चरणों में,मन में हो श्रद्धा का भावदीप जले मन मंदिर में,बजे हृदय में भक्ति राग। भाव सजाओ मन मंदिर में,माँ के नाम का हो श्रृंगारहर दिन बन जाए शुभ मंगलमय,जब माँ का सुमिरन हो बारम्बार। … Read more

कोरी पुस्तक हूँ…

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** एक कोरी पुस्तक हूँ मैं, निश्छल साफ सुथरी हूँ मैं…,अनेक दर्द को समेटकर, खुद को संभालती हूँ मैं।हाँ, एक पुस्तक हूँ मैं… जीवन में संघर्ष करते हुए, इस पथ पर बढ़ती हूँ मैं…,जीवन के अपने तमाम, पन्नों को छिपाती फिरती हूँ मैं।हाँ, एक पुस्तक हूँ मैं…। रंग-बिरंगी सी हसीन वादियों … Read more

नवमी तिथि

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** तिथि नवमी की आई,सिद्धिदायिनी माँसुंदर-सी छवि माई। कन्या लाँगुर आए,पैरों को धो करआसन पर बैठाए। चंदन, अक्षत, रोली,मस्तक पर टीकाकर बाँधो मौली। कन्या खाने आयीं,हलवा और पूड़ीउनके मन अति भायी। उपहार दिए उनको,जो उनको भाए।फिर बिदा किया उनको॥

माँ कालरात्रि-७

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** महाकाल की शक्ति महाकालरात्रि,प्रचंड शक्तिरूपा, शनि अधिष्ठात्रीअंधकार में ज्वाला बनकर प्रगटती,काल के विरूद्ध सप्तम दुर्गा उठती। अमारात्रि सम देह, गले विद्युत माला,दुष्ट रक्तबीज संहारे पीती रक्त प्यालाबिखरे केश विकराल झंझा की भांति,श्वास-प्रश्वास से निकले अग्नि कांति। सृष्टि के संताप में सब मंगल करती,धारती रौद्र रूप, दानव को दलतीचर्म वस्त्र, … Read more

भाव-उपहार भर माँ

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** पधारो हे! जगजननी अंबिका,नव-नव रूप धर अंबिकासिंह की सवारी, नेह बरसाती,तुम जगत माँ, शिवा साधिके भवानीतुम बिन संसार,तुम्हारी छत्र-छाया बिन मानव अधूरा हैआओ हे!शिव-शिवा संग माँ। विराजो हे! जगजननी अंबिका,नवरात्र, अभिनंदन हे! अंबिकासब दुःख टारो, उठा जग बीड़ा,पंडाल सजे, भक्तजन बुलाएं अंबिकासबकी निगाहें तुम पर,त्राहि-त्राहि मची, दीन-हीन परहर लो, सबकी … Read more

दुर्गा देवी महारानी माँ

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* रुनझुन करती आयी माँ,सबके मन को लुभाई माँस्वागतम् हे दुर्गा महारानी माँ। श्रद्धा सुमन अर्पित है,जन-मन आज हर्षित हैश्रद्धा भावों का संचार है,तुमसे ही विनय आभार है। दुखों का निवारण हो,शुभ-शुभ का आगमन हो,जीवन कष्ट सब हट जाएँ,बाधाएं सब मिट जाएँ। ज्ञान बुध्दि विद्या विवेक हो,सनमत प्रगति भरपूर हो,सत्य स्नेह … Read more

माँ कात्यायनी-६

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** कात्यायन ऋषि ने तप घोर किया,भुवनेश्वरी ने पुत्री बन जन्म लियासुता कात्यायनी षष्टम नव-रजनी,अरि-दल-विदारणी, महातेजस्विनी। स्वर्ण सदृश्य आभामय प्रखर काया,चारभुजा शस्त्र धारिणी, योगमायारक्तरंग वस्त्रधारिणी, रूप मनोहारी,काम, अर्थ, धर्म, मोक्ष दें माँ प्यारी। दानव दलन को माँ धरती पर आई,महिषासुर वध से अमर कीर्ति पाईसुर-मुनि-वंदित-पग-पद्म-कमल,शार्दूलवाहिनी माई का हृदय तरल। गोपियों … Read more

मनुज प्रकृति उपवन सम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मनुज प्रकृति उपवन समा, श्री वर्धन तरु ज्ञान।सुदृढ़ पादप चरित हो, मानक कीर्ति बखान॥ मजबूती देती तना, शाखाओं विस्तार।शील धीर त्यागी विनत, रीति नीति आधार॥ हरित भरित किसलय ललित, पत्ती ऊर्जावान।संस्कार परिवार से, क्षमा दया मतिमान॥ सावन बरखा आगमन, हरियाली उद्यान।खिलती कलियाँ कुसुम बन, सुरभित सम मुस्कान॥ फलदायी पुरुषार्थ … Read more