राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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आओ बंधु स्वागत की करें तैयारी,
नववर्ष में हम जश्न मनाएंगे भारी
अपने-पराए का भेद छोड़ देंगे हम,
बाँट खुशियाँ सर्वस्व हटाएंगे गम।
जल्दी आओ,उन्हें भी लाओ,
डीजे मस्ती का माहौल पाओ
जितना चाहे झूमो नाचो गाओ,
उदासी को तुम अब दूर भगाओ।
२०२० में किया अपार संघर्ष,
कोरोना से लड़ चुके हो तुम सहर्ष
२०२१ हेतु कर विचार-विमर्श,
होगा कैसे अब सर्वत्र हर्ष ही हर्ष।
२०२० केवल दु:ख का साल नहीं,
यहाँ भी कई शिक्षा की धारा बही
यह विश्व को ‘कोरोना’ से लड़ाया,
इस बहाने सबको एकजुट कराया।
इसके जाने पर हो रहा विश्वास,
यह साल भी रहा है हमारा खास
कोरोना महामारी के डर से सही,
प्रकृति पर सबका बढ़ा है विश्वास।
२०२० ने हमें नींद से अवश्य जगाया,
स्वच्छता है क्यों जरूरी हमें बताया
एक-दूसरे की मदद करना सिखाया,
जीवन का सही मूल्य हमें है बताया।
२० से सीख ले हमें २१ को बुलाना है,
पीछे की गलती आगे नहीं दुहराना है
संगठित हो हमें जग को दिखाना है,
२० विदा २१ के लिए खुशी मनाना है।
जाते हुए २०२० को करूँ मैं नमस्कार,
आते हुए २१ को करूँ सहर्ष स्वीकार।
२१ में सर्वत्र अमन शान्ति प्यार फैलाना,
२०२० विदा २१ के लिए खुशी मनाना॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।