सोनम कुमारी
मधुपुर (झारखंड)
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कितनी गहराई है तेरी
अनदेखे एहसासों की,
कितनी बातें यूँ सरलता से
बयां कर देती चित्रकथा।
मनुष्य से लेकर ‘गिल्लू’ तक
कायल हैं तेरे असीम स्नेह के,
बरबस आत्मीयता का प्रस्फुटन
हो जाता है तुम्हें गुनकर।
कुदरत का नायाब करिश्मा
जो आज भी जीवंत है हममें,
दुःख की ही सिर्फ छाया नहीं है
जीवन का चलचित्र है उसमें।
दुःख की बदरी छाई हो पर
सुख की किरण निराली है,
क्या लिख डाली तुम सरस्वती,
जो उलझी एक पहेली है।
मन-जग की पहचान कराई
भाव,भ्रम का ज्ञान कराया।
देवी तुम शाश्वत नहीं पर,
दिव्य प्रभाव से परिचित कराया॥