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चलो,फिर बच्चा बन जाएं

कु. समीक्षा मारुति राजगोड
मुंबई(महाराष्ट्र)
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मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….

उमंग भरा त्यौहार आया,आया है मकर संक्रांत,
आसमान में रंग-बिरंगी अनेक पतंगों के साथ।
यह उत्सव है सफल-फसल की ख़ुशी मनाने का,
और रवि देवता को स्मरण कर,धन्यवाद कहने का।
आज छत पर लोग ऐसे जमा हुए हैं,
जैसे किसी खूबसूरत महिला के घने बाल हों
उतरायण की सुबह किसी को आनंद है पतंग उड़ाने में,
तो किसी को कटी पतंग लुटाने में।
जहाँ देखो वहाँ दिखती सिर्फ लोगों की भागम-भाग है,
यहाँ तो सारे खेलने में बेहाल हैं।
जब माँ कहती ‘आओ बच्चों तिल गुड़ ले जाओ,’
बच्चे कहते हैं ‘माँ अभी थोड़ी देर रुक जाओ।’
शाम को लड्डू का डिब्बा उठा वह,
सोच में पड़ जाती है…
डिब्बे का वजन इतना हलका कैसे ?
फिर माँ उनकी शरारती मुस्कान देख सब समझ जाती है।
इस शुभ दिन पर भूल कर सारे दुष्ट भाव,
आओ जोर से ‘काय पो चे’ चिल्लाएं।
रहें प्रेम से सब मिलकर,उत्साह रखें,
अपनों के साथ चलो,फिर बच्चा बन जाएं॥

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