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संविधान और आज के हालात

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………

२६ जनवरी का क्या मतलब है,क्यों मनाते हैं हम? गण अर्थात जनता तंत्र अर्थात शासन यानि जनता का शासन।
वीर शहीदों के अथक प्रयास और बलिदान के बाद हम भारतीयों को अंग्रेजों के शासन और अत्याचारों से मुक्ति मिली। आजादी के बाद सभी जन को समान अधिकार और अधिकारों की सुरक्षा के लिए,तथा सख्ती से पालन हेतु लिखित कानून का विधान बनाया गया। सन १९४८ में डॉ. राजेंद्र की अध्यक्षता में डॉ. भीम राव आम्बेडकर के दल ने संविधान का निर्माण किया,जो २ वर्ष में बनकर तैयार हुआ। २६ जनवरी १९५० को जनता की सहमति से इसे लागू किया गया।
इसी जनतंत्र के अधिकार की खुशी राष्ट्रीय पर्व के रूप मनाते हैं। जो लोग शहीदों के पीछे खड़े होकर तमाशा देखते थे,पार्टी नेता बन आंदोलन करने लगे और प्रधानमंत्री बनने के लिए लड़ने लगे,उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को २ राष्ट्र सिद्धांत अपनाने के लिए राष्ट्र के २ टुकड़े करने को मजबूर कर दिया। अलग राष्ट्र बनाने के बाद भी हमारे प्रबुद्ध नेताओं ने धर्म निरपेक्षता के नाम पर सभी धर्मों को समान अधिकार देने के लिए लिखित संविधान का निर्माण कराया। इसी संविधान को लागू किए गए दिन को हम पूर्ण गणतंत्र पर्व के रूप में मनाते हैं।
लेकिन क्या हम पूर्ण स्वतंत्र हो पाए ?क्या हमें स्वतंत्रता मिल पाई ? शायद हम उन गलतियों की सजा आज भी भुगत रहे हैं,जो हमारे नेताओं ने की। हम अपने ही देश में डरे-सहमे रहते हैं।जिन्हें अल्पसंख्यक सुरक्षा के नाम पर अतिरिक्त सुविधाएं दी गयी,वे आज बहुसंख्यक होकर हमें हमारे ही घर से निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
दूसरी ओर धर्म के नाम पर अलग राष्ट्र लेने वाले देश में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर देश से पलायन करने या धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर कर दिया गया।
अब भारत अपने पूर्व नेताओं की गलती सुधारते हुए उन शरणार्थियों को अपनाना चाहता है,तो उन्हीं अल्पसंख्यक रूपी बहुसंख्यकों को परेशानी हो रही है। वही देश की भोली- भाली जनता को बरगला कर उपद्रव करवा रहे हैं।
आज युवाओं को समझना होगा औऱ देशवासियों को समझाना होगा कि एनआरसी और सीएए उनकी नागरिकता छीनने के लिए नहीं,बल्कि उन निसहाय लोगों को सुरक्षा देने के लिए है,जिन्हें धर्म के नाम पर शोषित किया गया है। हमें अपने संविधान की रक्षा करनी होगी।
आज गणतंत्र दिवस पर हमें प्रण लेना होगा कि हम अपने संविधान की रक्षा करेंगें और किसी को इसका फायदा नहीं उठाने देंगें-
“२६ जनवरी भारत की बात पुरानी है,
जल रहा देश,मुगलों से मिली गुलामी थी।
अंग्रेजों ने राज किया,शहीदों ने दी कुर्बानी थी,
लिखा संबिधान अम्बेडकर ने,डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जुबानी थी।

अधिकार दिया सबको जीने का,दी देश की कुर्बानी थी,
कर विभाजन राष्ट्र का,संविधान में लिखी कहानी थी।
संविधान की धर्मनिरपेक्ष नीति ने अल्पसंख्यों की भर दी झोली थी,
ले अधिकार हिंदुस्तानी,पाकिस्तान की, की रखवाली थी।

फिर भी कश्मीरी पंडितों का बलात धर्म परिवर्तन कर डाला था,
संविधान हमारा लचीला है,सबको एक माना था।
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की नींव डाली थी,
कुछ गद्दारों ने मिलकर संविधान से की मनमानी थी।

अब वक्त है आया देश की रक्षाकर, संविधान की करनी रखवाली है।
न झुकने देंगें,न टूटने देंगें,देश की शान निराली है॥”

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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