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रंगों की महफ़िल सजायें…

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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चलो रंगों की महफ़िल सजाएँ,
आओ दिल से दिल मिलाएं।

हैं बढ़े फासले दिल से दिल के,
बिछड़ गए जो चले थे मिल के
कुछ रूठ गए कुछ जुदा हो गए,
स्मृतियों में दफ़न सदा हो गए।
चलो आज उन्हें देकर आवाजें,
हम अपने हृदय के पास बिठायें।
चलो रंगों की महफ़िल सजायें…

भूल जाओ जो तुमने कह दिया,
नहीं सुनो जो हमने कह दिया
ये शब्दों का बस मायाजाल है,
बस पल दो पल का कोलाहल है।
आज तो सुन लें धड़कन दिल की,
गुजरे लम्हों को अब दे न सदायें।
चलो रंगों की महफ़िल सजायें…

बस छणभंगुर-सा सबका जीवन है,
अमर तो बस सिर्फ अपनापन है
कल कौन कहाँ होगा किसे पता है,
क्या मालूम क्या भाग्य में लिखा है।
त्याग कर अपने झूठे अहंकार को,
आओ खुशी से गले मिल जाएं।
चलो रंगों की महफ़िल सजायें…॥

परिचय–डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।

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