मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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चिराग को देखते ही गगन खुशी से उछल पड़ा-“ओ हो चिराग! क्या तुम अब भी रोज मंदिर आते हो ?”
‘हाँ गगनl’
“तुम्हारी तो सिर्फ एक ही मनोकामना थी,क्या वह अब तक पूरी नहीं हुईl मेरी तो कामना बहुत पहले ही फलीभूत हो गई,इसीलिए इधर आना कम हो गया हैl फिर व्यापार में समय ही नहीं मिलताl”
“गगन! यह तो बताओ तुमने भगवान से मांगा क्या था ?”
गगन ने सीना तान गर्वोक्ति पूर्ण लहजे मे कहा-“भगवान! मुझे इतना दें कि,मैं लोगों को देने लायक बन सकूं और मैं बन गयाl तुम्हारी ऐसी कौन-सी मनोकामना थी जो अब तक पूर्ण नहीं हुईl मुझे बताओ,मैं चुटकियों में तुम्हारी मनोकामना पूरी कर दूंगाl भगवान ने मुझे बहुत दिया है ?”
गंभीर हो चिराग ने अपनी मनोकामना प्रकट की,जिसे सुनते ही गगन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीl चिराग ने कहा-
“मेरी एक ही मनोकामना है गगन-कभी किसी को मांगने लायक मत बनानाl”
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।