अनुशासन की नित कमी,लोभ घृणा उत्थान।
प्रतीकार में जल रहा,शैतानी हैवान॥
अनुशासन बिन छात्र अब,निर्भय बन परिवार।
मानक बस उत्तीर्णता,मनोयोग लाचार॥
आजा़दी मतलब नहीं,अनुशासन अवमान।
मोटर गाड़ी अधिनियम,जीवन रक्षक मान॥
युवा जोश नित होश खो,मदोन्मत्त मधुपान।
नित न्यौता दे मौत को,चला यान गतिमान॥
अनुशासन की है कमी,विरत नार्य संकोच।
यौवन के मधुशाल में,बदली बेटी सोच॥
शिक्षा का मतलब नहीं,हो स्वभाव उद्दण्ड।
प्रेम जाल में फँस रही,आहत जोश प्रचण्ड
बचे तभी ये बेटियाँ,हो शिक्षण परिवार।
नीति-रीति सम्प्रीति की,स्थापित शिक्षाचार॥
अनुशासन रिश्ते मधुर,सफल बने पुरुषार्थ।
बढ़े प्रीति सम्मान जग,पालन पथ धर्मार्थ॥
राष्ट्र तभी उन्नत बने,प्रगति शक्ति सम्मान।
अनुशासित शासन प्रजा,न्याय नीति यश शान॥
मातु-पिता गुरु श्रेष्ठजन,अनुशासन दे सीख।
नित शिक्षा संस्कार दे,सदाचार की भीख॥
विनय शील मृदुभाष बन,जीते दिल इन्सान।
त्याग सत्य परमार्थ पथ,अनुशासन सम्मान॥
अनुशासन विजयी जगत,अनुशासन ब्रह्मास्त्र।
मूलमंत्र समझो इसे,महान देश व शास्त्र॥
करें प्रीति निज देश से,जाग्रत हों उत्थान।
अनुशासित सेना वतन,शिक्षक छात्र किसान॥
दर्पण देश समाज का,मानक हो साहित्य।
अनुशासित हो लेखिनी,राष्ट्र नीति औचित्य॥
परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी (असम)में हैं। जन्मतिथि पन्द्रह जनवरी सन् उन्नीस सौ चौहत्तर है। आपके आदर्श -संत कबीर,दिनकर व निराला हैं। स्नातकोत्तर (हिन्दी व अर्थशास्त्र),बी. एड.,बी.टेक (सिविल),पत्रकारिता व विद्युत में डिप्लोमा की शिक्षा प्राप्त श्री शाह का मेघालय में व्यवसाय (सिविल अभियंता)है। रचनात्मकता की दृष्टि से ऑल इंडिया रेडियो पर काव्य पाठ व परिचर्चा का प्रसारण,दूरदर्शन वाराणसी पर काव्य पाठ,दूरदर्शन गुवाहाटी पर साक्षात्कार-काव्यपाठ आपके खाते में उपलब्धि है। आप कई साहित्यिक संस्थाओं के सदस्य,प्रभारी और अध्यक्ष के साथ ही सामाजिक मीडिया में समूहों के संचालक भी हैं। संपादन में साहित्य धरोहर,सावन के झूले एवं कुंज निनाद आदि में आपका योगदान है। आपने समीक्षा(श्रद्धार्घ,अमर्त्य,दी
पिका एक कशिश आदि) की है तो साक्षात्कार( श्रीमती वाणी बरठाकुर ‘विभा’ एवं सुश्री शैल श्लेषा द्वारा)भी दिए हैं। शोध परक लेख लिखे हैं तो साझा संग्रह(कवियों की मधुशाला,नूर ए ग़ज़ल,सखी साहित्य आदि) भी आए हैं। अभी एक संग्रह प्रकाशनाधीन है। लेखनी के लिए आपको विभिन्न साहित्य संस्थानों द्वारा सम्मानित-पुरस्कृत किया गया है। इसी कड़ी में विविध पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत प्रकाशन जारी है। अवधेश जी की सृजन विधा-गद्य व काव्य की समस्त प्रचलित विधाएं हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति जनमानस में अनुराग व सम्मान जगाना तथा पूर्वोत्तर व दक्षिण भारत में हिन्दी को सम्पर्क भाषा से जनभाषा बनाना है।