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पर्यावरण को मत समझो उपभोग की सीढ़ी

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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आज पर्यावरण ने भी,
चुप्पी को तोड़ा है
तुमने शुद्धता से,
जो मुँह को मोड़ा है।
कोरोना विषाणु से,
ज्यादा पर्यावरण का श्राप है
पर्यावरण से छेड़-छाड़,
का जो किया पाप है।
पेड़ के पत्तों पर,
खाने में आती है लज्जा
प्लास्टिक की सब जगह,
क्यूँ लहरा रही है ध्वजा।
घर में जब ऐ मानव तू,
कुछ दिन था कैद
एहसास हुआ होगा तुझे,
पशुओं की आजादी में करता था भेद।
पर्यावरण का चलता है,
नियम का स्नेहपूर्ण एक तंत्र
मानव चला रहा है,
हीनता पूर्ण स्वार्थ का मंत्र।
जब-जब मानव अतिक्रमण,
के स्वार्थ रूपी बीज बोएगा
पर्यावरण के श्राप से,
कोरोना के आँसू रोएगा।
पर्यावरण को मत समझो,
उपयोग और उपभोग की सीढ़ी
पर्यावरण ही सींचेगा,
आने वाली पीढ़ी।
पर्यावरण से पृथक होगा,
जब हर प्रकार का प्रदूषण
धरती पहनेगी सुख,
और शांति के आभूषण।
गुलाम नहीं तुम पर्यावरण,
के बनोगे सच्चे मित्र।
तब धरती पर,
महकेगा शांति का ईत्र॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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