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मन के सपने

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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पूरे होना मुश्किल मन के सपने,
वायु वेग से बढ़ते मन के सपने।

मन होता है मानो एक समुंदर,
लाख वासना जिसके अंदर।

एक पूर्ण हो बस दूसरी इच्छा,
वृद्ध जवान चाहे हो बच्चा।

जीवन जाता न सजते सपने,
पूरे होना मुश्किल मन के सपने।

मनमानी करता है जो मनवा,
चले चाल मस्तानी जो मनवा।

मन की इच्छा टाले नहीं टलती,
एक पूर्ण हो तो और बदलती।

मोहित करते हैं मन के सपने,
पूरे होना मुश्किल मन के सपने।

पूरे होना मुश्किल मन के सपने,
वायु वेग से बढ़ते मन के सपने…॥

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