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चेहरे पर चेहरा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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मीना सिसकती-कराहती हुई अभी घर लौटी थी,और एक कोने में बैठी विलाप कर रही थी । वह अपने संगीत के गुरू व धर्मपिता पुरोहित साब के हाथों अपनी इज़्ज़त गंवाकर आई थी।
वह साल भर पुरानी यादों में खो गई,जब इक्कीस वर्षीय उभरती गायिका मीना ने एक बड़ी संगीत प्रतियोगिता में भाग लिया था ।
“वाह मीना वाह,तुम्हारे गले में तो साक्षात् सरस्वती का वास है। बस तुम्हें कोई अच्छा सा गुरु और प्रमोटर मिल जाए,तो देखना तुम कहां से कहां पहुंच जाती हो।”
“पर मुझ जैसी गाँव की लड़की को गुरु व प्रमोटर कहां मिलेगा ?”
“तुम जैसी होनहार गायिका का तो गुरु कोई भी बन जाएगा ।”
“क्या,आप बनेंगे ?”
“हाँ-हाँ,क्यों नहीं ?”
और आज उन्हीं गुरु,प्रमोटर व धर्मपिता पुरोहित जी ने मीना को आगे बढ़ाने के नाम पर अपनी हवस का शिकार बना डाला था।लुटी-पिटी मीना सरस्वती साधक और संगीत के पुजारी प्रौढ़ गुरु पुरोहित जी के चेहरे पर लगे चेहरे को देख रही थी। आज वह इस कटु सत्य को समझ चुकी थी कि आदमी की असलियत वह नहीं होती है,जो दिखती है, बल्कि वह होती है,जो छिपी होती है।

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैl आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैl एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंl करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंl साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंl  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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