कुल पृष्ठ दर्शन : 265

You are currently viewing हे ईश्वर! आप तो दयावान हो

हे ईश्वर! आप तो दयावान हो

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
**************************************

हे ईश्वर…इस मानव जाति पर आए संकट को हरने के लिए अब आप सबकी सुनो। हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। इस विपत्ति से हर इंसान घबरा गया है। दुनिया में ये आपदा धीरे-धीरे भयानक होती जा रही है। हर इंसान चीख रहा है और सुनने वाला कोई नहीं है। इस महाबीमारी ने सबको अकेला कर दिया है और प्रकृति के करीब कर दिया है।
हे ईश्वर! इंसान ही गलतियां कर रहा था। प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहा था और आज इस बात पर विचार कर रहा है कि हमने प्रकृति से क्या-क्या छीन लिया है और प्रकृति को क्या दिया है ?
पेड़-पौधे,नदियाँ,पहाड़ सबको इंसानों ने नुकसान ही पहुँचाया है। इसलिए,आज इंसान ही प्राण वायु (ऑक्सीजन) के लिए तरस रहा है। दुनिया की भीड़-भाड़ में खो गया था। आज उसको अहसास हो रहा है। आज जो ख़ुद को अकेला कर रहा है,वो ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है। जो इंसान परिवार से दूर चला गया था,उससे भी परिवार अच्छा महसूस कर रहा है। परिवार के साथ का समय उसको सुख का अनुभव करा रहा है।
हे ईश्वर! इंसान हैं…गलतियाँ हो सकती हैं,भूल हो सकती है। आप तो दयावान हो,सबको माफ़ कर सकते हो।
हे ईश्वर! इंसानों द्वारा हुई हर गलती के लिए हम हाथ जोड़ कर विनती करते हुए क्षमा-याचना माँगते हैं। आप तो दयालु हो,बस अब तो आप दया कर दो और इस ‘कोरोना’ नाम की महाबीमारी को विलुप्त कर दो। इस बीमारी को समाप्त करके सबके चेहरे पर मुस्कान भर दो। अब तो बस करो ईश्वर,अब तो सबकी पुकार सुन लो। आपने ही कहा था जब-जब सच्चे मन से कोई पुकारेगा,उसकी सुनने आऊँगा। अब तो सुन लो भगवान,वरना अब लोगों का विश्वास भटक रहा है। श्मशानों में स्थान नहीं बच रहा है। चिताओं पर चिताएँ जल रही हैं। अब तो ईश्वर अपनी शक्तियों से इस महाबीमारी से मुप्ति दिला दो।
अब बहुत कुछ सीखेगा इस कोरोना काल से इंसान, आत्मनिर्भर होगा इंसान। कोरोना काल बता जाएगा कि,ख़ुद की आवश्यता ख़ुद से कैसे पूरी होती है। शहर से गाँव की जिंदगी कितनी अच्छी होती है,कम संसाधनों में कैसे आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। अपने ही अपने होते हैं,हर तरह की शिक्षा दे रहा है ये कोरोना।
हे ईश्वर…
आशाओं का फिर आज सूरज उगा दो,
जग के अंधियारे को अब तुम मिटा दो।
निकल आएं नई रोशनी मुस्कान की-
एक दीप अब ऐसा भगवान जला दो॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैL वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैL यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

Leave a Reply