कुल पृष्ठ दर्शन : 250

लालच

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
*********************************************

कौन कहता है अब,
लालच बुरी बला है
लालच भी कुछ पाने,
की प्यारी कला है।

आज की औलाद माँ-बाप,
कि,इसलिए करती हैं सेवा
वसीयत रुपी उन्हें,
मिलेगा प्यारा मेवा।

लालच से मिलते,
है कितनों को मान
अच्छा पाने के लिए,
कितने देते हैं दान।

ख्वाहिशों की होती,
है कितनी लम्बी सूची
इसलिए मंदिर जाने,
में होती है कितनों की रुचि।

एक मन्नत पूरी होने पर,
सच्चे लगते हैं हर दर
एक ख्वाहिश अधूरी रहने,
पर नहीं झुकते हैं सर।

पहले रुपयों का बौछार,
लगाना करते हैं शुरू
तब ज्ञान को बाँटना,
शुरू करते हैं आज के गुरु।

लालच है वो प्यारा और,
मनमोहक वाला यंत्र
जिसके बाद शुरू होता,
है मीठी़ वाणी वाला मंत्र।

कौन यहाँ लालच की,
प्यारी हवा से बचा है
कुछ पाने के लिए,
सबने स्वांग रचा है।

कौन कहता है अब,
लालच बुरी बला है।
लालच भी कुछ पाने,
की प्यारी कला है॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैL आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैL आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैL आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैL आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैL अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंL

Leave a Reply