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पाप धरा के हरो

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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जन्माष्टमी विशेष……..

लता-लता भी खिल गई,जब वो आए श्याम,
मन की गलियों में बसा,कन्हैया का धाम।

तुम पाप धरा के हरो,आओ तुम जगदीश,
कष्ट मिटा दो सभी,आज द्वारकाधीश।

राधा,मीरा रुक्मणी,सबके तुम घनश्याम,
कण-कण में तुम बसे,मन में गोकुल धाम।

मन मंदिर में माखन,मुख पर मुरली सजाएं,
यमुना किनारे मुरली से गोपियां नचाएं।

दु:ख हरने पाप मिटाने,हर लीला दिखाने,
वासुदेव देवकी के घर कन्हैया आए।

मिश्री,माखन,दूध,दही का भोग लगाएंगे,
कान्हा का हर मंदिर फूलों से सजाएंगे।

आज हर घर आएंगे बाबा नन्द के लाल,
खुशी-खुशी से कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे।

मन मेरा मथुरा है,कभी तन वृंदावन है,
प्रेम की वो अलौकिक कृति सबका मोहन है।

वो सात सुरों की बंशी को मुख पर सजाते,
वृंदावन की गली में कान्हा का दर्शन है॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

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