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हिंदी स्‍वाभिमान की भाषा-प्रो. शुक्‍ल

हिंदी विश्‍वविद्यालय का २३वां स्‍थापना दिवस समारोह

वर्धा(महाराष्ट्र)।

हिंदी स्‍वाभिमान,स्‍वावलंबन और स्‍वत्‍व के पहचान की भाषा है। हिंदी भाषा भारत के ९९ प्रतिशत से अधिक आबादी की जरूरत है। इस देश के समाज और अंतिम आदमी तक इस भाषा की पहुंच अनिवार्य है। हम हिंदी हैं,हिंदवी चेतना के हैं और इसलिए महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय पर हिंदी को वैश्विक पटल पर विराजित करने की अहम जिम्‍मेदारी है और हम समवेत रूप से इसके निर्वहन के लिए प्रतिबद्ध हैं।

महात्मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने विश्‍वविद्यालय के २३वें स्‍थापना दिवस व्‍याख्‍यान में मुख्‍य वक्‍ता और कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए यह विचार व्‍यक्‍त किए। गालिब सभागार में रविवार २९ दिसंबर को आयोजित समारोह में मंच पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो.चंद्रकांत रागीट,प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल,शिक्षा और प्रबंधन विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. मनोज कुमार,मानविकी और सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. कृपाशंकर चौबे,संस्‍कृति विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो.नृपेंद्र प्रसाद मोदी,कार्यकारी कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान भी उपस्थित थे।

यह समारोह विश्‍वविद्यालय ध्‍वजारोहण के साथ प्रात: ९ बजे से प्रारंभ हुआ। इसके बाद मुख्‍य समारोह की अध्‍यक्षता कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने की। प्रारंभ में उन्‍होंने प्रस्‍ताविकी में अपने विचार रखे और अध्‍यक्षीय वक्‍तव्‍य में उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय के विकास क्रम पर बात की। उन्‍होंने वर्धा और धाम नदियों का उल्‍लेख करते हुए अपने संबोधन में कहा कि इन नदियों के तट पर जो भारत है,उनके उन्‍नयन की जिम्‍मेदारी हमारी है। विश्‍वविद्यालय का अर्थ ही ज्ञान का विस्‍तार करना है और इस दिशा में हम भारतीय भाषाओं को साथ लेकर एक ज्ञान केन्द्रित संस्‍था के रूप में विश्‍वविद्यालय को विकसित करना चाहते हैं। उन्‍होंने गांधी के १५० वें जयंती वर्ष और विनोबा के जयंती के १२५वें वर्ष का उल्‍लेख करते हुए कहा कि आगामी वर्ष में हम भारत की आज़ादी के ७५ वर्ष पूर्ण करने जा रहे हैं। इस उपलक्ष्‍य में हमने हिंदी को आगे ले जाने का अभियान प्रारंभ कर दिया है और हमें विश्‍वास है कि हिंदीसेवियों ने जो सपना देखा था उसको हम पूरा करेंगे।

कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. कमलेशदत्‍त त्रिपाठी का शुभकामना संदेश पढकर सुनाया। अपने संदेश में प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि इस महान विश्‍वविद्यालय की सर्वतोमुखी समृद्धि,स्‍थापना के मूल में निहित उद्देश्‍यों की पूर्ति तथा राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय क्षितिज पर और भी दैदीप्‍यमान उपस्थिति के लिये सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर से मेरी समवेत प्रार्थना है। आज के समकालीन संदर्भ में हमारी राष्‍ट्रीयता को महात्‍मा गांधी, हिंदी और अंतरराष्‍ट्रीय ये तीन शब्‍द परिभाषित करते हैं। यह विश्‍वविद्यालय महात्‍मा जी का पवित्र और जीवनी-शक्ति से स्‍पंदित स्‍मारक है। छात्र-छात्राएं सहित समस्‍त विश्‍वविद्यालय परिवार इसे स्‍मरण रखे,यह मेरी प्रार्थना है। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विद्यापीठ की सहायक प्रो. शिल्पी कुमारी ने किया। आभार ज्ञापन कार्यकारी कुलसचिव कादर नवाज़ ख़ान ने किया। इस अवसर पर जनसंचार विभाग की ओर से प्रकाशित ‘मीडिया समय’ के स्‍थापना दिवस विशेषांक का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों की ओर से किया गया।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

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