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हिन्दी विजयी गान

आशीष प्रेम ‘शंकर’
मधुबनी(बिहार)
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हिंदी दिवस विशेष…..

भारत माँ की आशा इच्छा,
अरमान रखी है हिन्दी ने
प्रतयमान माँ भारती बन,
कमान रखी है हिन्दी ने।

भारत-वीरों की विजयी कथा,
जयगान लिखा है हिन्दी ने
वीरों का बलिदान प्रतिष्ठा,
प्राण रखा है हिन्दी ने।

न होकर जो अमर हैं अब भी,
मान रखा है हिन्दी ने
वो हिन्दी है हिन्द देश की,
शान रखी है हिन्दी ने।

अपने आँगन में बिलख रही,
वीरान रही है हिन्दी ने
हर पथ हर-एक कदम-कदम,
संताप सहा है हिन्दी ने।

रामचंद्रिका,कृष्णायन,मानस का,
गान लिखा है हिन्दी ने
मनुज महेश की युक्ति का,
विधान लिखा है हिन्दी ने।

मधुर स्वरों से भरी हुई,
रसपान-धार है हिन्दी में
कोमल स्वर सुंदर शब्दों की,
खान भरी है हिन्दी में।

मर्यादा पुरूषोत्तम का,
सम्मान रखा है हिन्दी ने
विश्व विजेता भारत का,
प्रमाण रखा है हिन्दी ने।

वीर रस की रचना से,
हुंकार भरी है हिन्दी ने
श्रृंगारिक रचनाओं से,
श्रृंगार किया है हिन्दी ने।

काश्मीर से कन्याकुमारी तक,
आगाज किया है हिन्दी ने
एक अखंड भारतवर्ष की,
साजगरी है हिन्दी में।

हिन्द राष्ट्र का ओ केशरिया,
गान लिखा है हिन्दी ने।
चंदन-सी मिट्टी का हर,
आयाम लिखा है हिन्दी ने॥

परिचय-आशीष कुमार पाण्डेय का साहित्यिक उपनाम ‘आशीष प्रेम शंकर’ है। यह पण्डौल(मधुबनी,बिहार)में १९९८ में २२ फरवरी को जन्में हैं,तथा वर्तमान और स्थाई निवास पण्डौल ही है। इनको हिन्दी, मैथिली और उर्दू भाषा का ज्ञान है। बिहार से रिश्ता रखने वाले आशीष पाण्डेय ने बी.-एससी. की शिक्षा हासिल की है। फिलहाल कार्यक्षेत्र-पढ़ाई है। आप सामाजिक गतिविधि में सक्रिय हैं। लेखन विधा-काव्य है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में केसरी सिंह बारहठ सम्मान,साहित्य साधक सम्मान,मीन साहित्यिक सम्मान और मिथिलाक्षर प्रवीण सम्मान हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जागरूक होना और लोगों को भी करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं प्रेरणापुंज-पूर्वज विद्यापति हैं। इनकी विशेषज्ञता-संगीत एवं रचनात्मकता है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी भाषा है,और इसके लिए हमारे पूर्वजों ने क्या कुछ नहीं किया है,लेकिन वर्तमान में इसकी स्थिति खराब होती जा रही है। लोग इसे प्रयोग करने में स्वयं को अपमानित अनुभव करते हैं,पर हमें इसके प्रति फिर से और प्रेम जगाना है,क्योंकि ये हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इसे इतना तुच्छ न समझा जाए।

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