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वृन्दावन की होली

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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कृष्ण के संग होली खेले
राधा क्यों मुस्काई रे,
वृन्दावन में होड़ मची है
हुड़दंग होली आयो रे।

ढोल-नगाड़े लाल गुलाब
मटका फोड़ बजायो रे,
होली आई रे,
अवध में होली आई रे।

कोई पियें भाँग धतूरा
कोई होली गाये रे,
नंद बाबा के आँगन में
गोपी नाच नचाए रे।

कोई बाँटे खाजा-लड्डू
कोई रंग लगाए रे,
होली आई रे
अवध में होली आई रे।

लठ मार होली खेले
गोपी डर से भागे रेl
होली आई रे,
अवध में होली आई रेll

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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