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‘होली के रंग-काव्य के संग’ कवि सम्मेलन में खूब जमा रंग

इंदौर (मप्र) |

‘परिंदा की पाठशाला’ मंच पर होली के रंग-काव्य के संग ऑनलाइन कवि सम्मेलन हुआ। इसमें विभिन्न कवियों ने काव्य पाठ कर कोरोना के प्रति जागरुकता का संदेश दिया।
इस कार्यक्रम की शुरुआत हरिशंकर पाटीदार (हाटपिपल्या) ने सरस्वती वंदना से की। सागर के रामगोपाल निर्मलकर ‘नवीन’ ने घर में रहिए, सुरक्षित रहिए का संदेश देते हुए कहा कि घर-घर ये संदेश पहुचायें,परिवार संग होली मनायें। राजपुर के वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद त्रिवेदी ‘पुष्प’ ने अपने दोहों में कहा कि सूखी होली खेलना गले न मिलना यार,कोरोना दो का कहर,रहो तुम होशियार। मनावर के डाॅ. जगदीश चौहान ने बच्चों से लेकर बड़ों तक के होली खेलने के अंदाज पर काव्य पाठ किया। इंदौर की कवियित्री डॉ. रजनी पांडेय ने होली के रंग को समेटते हुए कहा कि रंग खिले कुछ इस रंगत से,होली भी मुस्काई रे। इंदौर के कवि विनोद सोनगीर ने अपने गीत में होली के आनंद का बखान किया तो खरगोन के वीरेन्द्र दंसौधी ‘वीर’ ने सतरंगी रंगों का होली गीत सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कवियित्री रंजना गोयल सहित,दिलीप कुशवाह ‘राज’,कवियित्री कृष्णा जोशी,विजय शर्मा एवं अनिल ओझा ने भी फागुन की मस्ती को गीत में पिरोया। विक्रम क्षीरसागर ‘नदीश’,इंदौर,गोपाल सोनी,भावना गुप्ता(राजपुर)ने भी रचनाओं से श्रोताओं को भाव विभोर किया। कार्यक्रम संयोजक रघुवीर सिंह सोलंकी रहे। संचालन राम शर्मा ‘परिंदा’ ने किया।

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