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अब हरगिज बर्दाश्त नहीं

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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अब पाक तुम्हारी नादानी,
हरगिज बर्दाश्त नहीं होंगी
इन षड्यंत्रों की घृणित चाल,
बिलकुल भी सहन नहीं होगी।

तुम कभी हमारे भाई थे,
उसका हक तुम्हें मिल चुका है
नंदन कानन से आगे का,
पूरा भू भाग मिल चुका है।

पर तुमने इस बँटवारे का,
अक्षरशः पालन किया नहीं
जो भाई-चारा कायम था,
वह भी तो बाकी बचा नहीं।

सन पैंसठ और इकहत्तर में,
सारी सीमाएं टूट गई
इस्लामी भाई-चारे की,
सारी मर्यादा टूट गई।

अब तो है सिर्फ़ दिखावा ही,
रिश्ता भी सिर्फ नाम का है
यह बात हमेशा ध्यान रखो,
यह सारा देश राम का है।

हम सभी राम के सेवक हैं,
मर्यादा तोड़ नहीं सकते
पर सर से पानी उफन गया,
तो चुप भी बैठ नहीं सकते।

इसलिए वक्त है अब तुमको,
अपनी औकात जानने का
भारत के बारे में अपनी,
यह, ओछी राय बदलने का।

एक सही पड़ोसी बनकर के,
पड़ोसी का धर्म निभाओ तुम
सुख-दुःख में हाथ बटाएं हम,
सुख-दुःख में हाथ बंटाओ तुम।

यह बात सौ टके सच्ची है,
अब तक तुमने विष वमन किया
भारत की भलमनसाहत का,
उलटा ही तुमने अर्थ लिया।

जग के सब शान्ति प्रयासों को,
तुमने सब चकनाचूर किया
निज कुटिल, ध्वंस की मनोवृत्ति,
से लड़ने को मजबूर किया।

हमने तो कई बार तेरा,
जहरीला जबड़ा तोड़ा है
झटक-झटक कर, पटक-पटक,
कर, सारा जहर निचोड़ा है।

फिर भी तुम बार-बार अपनी,
यह हठधर्मिता दिखलाते हो
कहीं कारगिल, कहीं कच्छ में,
कत्लेआम कराते हो।

सीमा में घुसपैठ करा,
आतंकवाद फैलाते हो
बार-बार मुँह की खाते हो,
फिर भी आँख दिखाते हो।

हमने छोड़ा है कई बार,
इस मानवता के नाते से
है जीवन-दान दिया तुमको,
भाई होने के नाते से।

पर इस बार न यह गलती,
आगे दुहराई जाएगी
अब यदि सर-हद पार किया,
तो, सब हद मेटी जाएगी।

माफी या समझौते जैसी,
कोई भी बात नहीं होगी
कुछ महाशक्ति भी दखल करे,
यह पुनरावृत्ति नहीं होगी।

इसलिए तुम्हें समझाते हैं,
यह बात हमारी मानो तुम
झगड़े से बात नहीं बनती,
खुद को यह बात बताओ तुम।

इतनी जिद, इतनी झुंझलाहट,
है इतना क्रोध नहीं अच्छा
अब खून-खराबा बंद करो,
यह बैर, विरोध नहीं अच्छा।

हम शांति वार्ता करते हैं,
तुम जहर उगलते जाते हो
हम जितना धीरज रखते हैं,
तुम उतना चढ़ते जाते हो।

यदि नहीं रवैया बदला तो,
अंजाम भयानक ही होगा।
फिर इस दुनिया के नक्शे में,
यह पाकिस्तान नहीं होगा॥

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।