डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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अन्तर्राष्ट्रीय मातृ दिवस’ विशेष….
माँ, इस ‘मातृ दिवस’ के अवसर पर आपसे कुछ कहना है। माँ,आपका दिन किसी एक दिन का मोहताज़ नहीं है,पर यदि महिला सशक्तिकरण के रूप में आपको देखें तो आपसे अच्छा उदाहरण मेरे लिए कोई नहीं हो सकता है।
आप उस जमाने या माहौल में रही,जब महिलाओं का जीवन बहुत कठिन था। आपकी सारी परिस्थिति बिल्कुल विपरीत थी। ऐसे में इतनी दबंगता से आपने जो कार्य किए,वो आज वर्तमान में सब सुविधा के बावजूद भी मैं नहीं कर सकती।
अगर स्त्री होकर मैं आपके बारे में सोचती हूँ तो लगता है कितना मुश्किल हुआ होगा आपके लिए उस दौर में ग्रामीण परिवेश से निकाल अपनी बेटी को पढ़ाना सबके विरोध करने के बाद भी,जबकि परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं थी। ऐसा अगर आज के काल में मेरे जैसी किसी भी बेटी या बहू,कोई भी स्त्री के साथ हुआ होता तो हम क्या करते हैं…? कभी एक नारी बनकर सोचो तो कितना कठिन लगता है। इसके बाद आपने मुझे अच्छे जीवन मूल्य दिए,जिनके बल पर मैं आज कुछ अच्छा कर पा रही हूँ,जबकि हम अपनी संतानों को वो मूल्य नहीं दे सके-यह एक कड़वा सच है।
माँ,तो क्या हुआ जो आप थोड़ा गुस्सा कर लेती हो, थोड़ा-सा कड़वा बोल देती हो। पूरा हक है आपको इन सबका,जो अपना पूरा जीवन हवन करके मुझे दिया। यह सब कैसे भुला सकते हम। माँ अब जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा आप जी चुकी हो, इतना अब बाकी नहीं हैं। आज आपसे एक स्त्री होने के नाते क्षमा मांगती हूँ कि,जाने-अनजाने में मैंने कभी आपका दिल दुखाया हो। माँ आप प्रेरणा हो मेरी। मुझे माफ़ कर देना। मुझे या किसी ओर को भी अपनी माँ से बुरे व्यवहार का कोई हक नहीं बनता।
अभी इस दौर में,जब चारों तरफ महामारी के चलते एक नकारात्मक माहौल है,ऐसे मैं हमें चाहिए कि हमारी माँ हो या सासू माँ-दोनों को एक अच्छा खुशनुमा माहौल दें। जी लेने दें उन्हें खुलकर अपने जीवन को,क्योंकि जो उन्होंने इस पूरे परिवार को दिया है,वो अतुलनीय है।
माँ आप बहुत प्यारी हैं। एक बेटी और स्त्री होने नाते मैं आपका बहुत सम्मान करती हूँ। हममें से जितनी भी अगर सही मायने में नारी हैं,तो अपने पूरे जीवन पर एक बार दृष्टि डालने के बाद यह सोचना चाहिए कि ऐसा अगर हमने जिया होता तो क्या होता। क्या हम सामान्य व्यवहार कर पाते, शायद नहीं। आज का युग हो या पुराना समय,स्त्री की भावनाएं सदैव एक जैसी ही होती हैं,हम यह क्यों भूल जाते हैं। विचार व मन्थन करना चाहिए हम सबको एक बेटी,बहू,पोती नहीं…बल्कि एक नारी बन कर। माँ आपको नमन।
परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।