आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’
गोरखपुर(उत्तरप्रदेश)
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जमशेदपुर निवासी शिवशंकर सिंह ने अपने इस कहानी संग्रह ‘अगहनियां’ में उत्तर भारतीय परिवेश के समस्त दृश्यों को शब्दांकित कर दिया है। वहां की ठेठ भाषा में रहन-सहन,रीति-रिवाज,मिथकों इत्यादि का चित्रण लेखक की कार्य कुशलता को प्रदर्शित करता है। प्रथम कहानी ‘अगहनियां’ में नायक और उसका वृक्ष प्रेम दर्शाया गया है जो अत्यंत मार्मिक बन पड़ा है। झारखंड में आज भी लोग वृक्ष को माता-पिता के समान समझकर पूजते हैं।
“….नहा-धोकर लाल कपड़े में लिपटी हुई पलाश की टहनी को गंगा की धार में प्रवाहित कर देता है। फिर किनारे आकर बैठ जाता है। बहुत देर तक ‘अगहनियां’ टहनी को जल में बहता हुआ देखता रहता है।”
एक और कहानी ‘रजुआ’ में भी उन्होंने बिहार के युवाओं का सरकारी नौकरी के प्रति लगाव एवं घर छोड़ने की मजबूरियों को शब्द चित्र के रूप में प्रस्तुत किया है। उत्तर भारतीयों में नौकरी करने का दबाव इतना ज्यादा होता है कि वह अपने कई अरमानों को मन में ही दफन कर देते हैं। कुछ ऐसा ही दर्द है
‘नया सवेरा’ के नायक का।
प्रखर गूँज प्रकाशन के सानिध्य में प्रकाशित इस पुस्तक का आवरण पृष्ठ अत्यंत ही मनमोहक तो पुस्तक की छपाई तथा मुद्रण भी आकर्षक है। इस पुस्तक संग्रह को पढ़ कर बिहार, झारखंड तथा बंगाली सभ्यता-संस्कृति का स्मरण हो आता है। साधारण जन-जीवन की इन सभी कहानियों में सामान्य बोली एवं आंचलिक शब्द विन्यास का प्रयोग किया गया है।जिजीविषा,कर्फ्यू,दिल्ली रिटर्न,द्वंद,शुचिता इत्यादि कहानियां भी पठनीय है।
परिचय-आरती सिंह का साहित्यिक उपनाम-प्रियदर्शिनी हैl १५ फरवरी १९८१ को मुजफ्फरपुर में जन्मीं हैंl वर्तमान में गोरखपुर(उ.प्र.) में निवास है,तथा स्थाई पता भी यही हैl आपको हिन्दी भाषा का ज्ञान हैl इनकी पूर्ण शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी) एवं रचनात्मक लेखन में डिप्लोमा हैl कार्यक्षेत्र-गृहिणी का हैl आरती सिंह की लेखन विधा-कहानी एवं निबंध हैl विविध प्रादेशिक-राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कलम को स्थान मिला हैl प्रियदर्शिनी को `आनलाईन कविजयी सम्मेलन` में पुरस्कार प्राप्त हुआ है तो कहानी प्रतियोगिता में कहानी `सुनहरे पल` तथा `अपनी सौतन` के लिए सांत्वना पुरस्कार सहित `फैन आफ द मंथ`,`कथा गौरव` तथा `काव्य रश्मि` का सम्मान भी पाया है। आप ब्लॉग पर भी अपनी भावना प्रदर्शित करती हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-आत्मिक संतुष्टि एवं अपनी रचनाओं के माध्यम से महिलाओं का हौंसला बढ़ाना हैl आपके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैंl