‘न्याय दर्शन का शैक्षिक महत्व’ है दिव्यचक्षु

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** रूद्रपुर (ऊधमसिंह नगर, उत्तराखण्ड) की डॉ. पूनम अरोरा द्वारा रचित 'न्याय दर्शन का शैक्षिक महत्व' पढ़ने का अवसर मिला। वर्तमान में लिखे जाने वाले साहित्यों…

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शायरी के आसमान को मुनव्वर कर रहे हैं सुभाष पाठक ‘ज़िया’

सिद्धेश्वरपटना (बिहार)********************************** लोग कहते हैं कि, ग़ज़लों की बाढ़-सी आ गई है। इस बात को मैं स्वीकार नहीं करता, क्योंकि हिंदी ग़ज़ल के नाम पर जो कुछ आज परोसा जा…

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पौराणिक कथाओं के आधार पर लिखी जानी चाहिए कहानियाँ

ऋचा वर्मापटना (बिहार)*********************************** पुस्तक समीक्षा.... साहित्य और कला के क्षेत्र में 'सिद्धेश्वर' एक जाना-माना नाम है। उन्हीं के सम्पादन में प्रकाशित 'कथा दशक' १० नए-पुराने कथाकारों की चुनिंदा कहानियों से…

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प्रेम का अद्भुत समीकरण ‘दबे पाँव चुपचाप’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** समीक्षा.... प्रेम! मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति…भावनाओं का वो प्रदर्शन है, जहाँ भाषा भी गौंण पड़ जाती है। यही कारण है कि, पारिवारिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक…

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बाल अधिकार जगाती ‘पोशम्पा’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** पुस्तक समीक्षा... एक दौर था, जब गली-मुहल्ला ही नहीं, घर-आँगन भी बच्चों के खेलों और उनकी चिल्ल-पों से भरा रहता था। कहीं लट्टू, कंचे, तो…

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चुनिंदा कहानियों से सजा गुलदस्ता ‘कथा दशक’

ऋचा वर्मा पटना (बिहार)*********************************** समीक्षा..... साहित्य और कला के क्षेत्र में 'सिद्धेश्वर' एक जाना-माना नाम है। उन्हीं के सम्पादन में प्रकाशित 'कथा दशक' १० नए-पुराने कथाकारों की चुनिंदा कहानियों से…

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नवरंग बिखेरता ‘कंद-पुष्प’

विजयसिंह चौहानइन्दौर(मध्यप्रदेश)****************************************************** समीक्षा... 'कन्द-पुष्प' अपने चटख रंग और सुन्दरता के लिए जाना जाता है, जो सामान्यतः पहाड़ीपन में सहजता से पनपता, पल्लवित होता है, मगर यहां बात कर रहा हूँ…

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निःसंदेह जनोपयोगी ‘स्वस्थ और सुखी जीवन के अनमोल सूत्र

पुस्तक समीक्षा.... समीक्षक-यतीन्द्र नाथ राही, भोपाल (मध्यप्रदेश) 'ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥'हे प्रभु, संसार के सभी प्राणी सुखी रहें, सभी प्राणी रोग आदि कष्‍टों…

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‘धूूप की मछलियाँ’ भाव-संवेदनाओं की कहानियाँ

विजय कुमार तिवारी************************* समीक्षा करते समय केवल सारांश प्रस्तुत करना सम्यक नहीं है। रचना के पात्रों की परिस्थितियाँ, उनके संघर्ष,उनकी संभावनाएं,सुख-दु:ख,रचनाकार की प्रतिबद्धता और समझ सब तो परिदृश्य में उभरते…

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पगडण्डी,पहाड़ और झील ही नहीं,सत्यम् ,शिवम् और सुन्दरम् का दर्शन है ‘चरैवेति-चरैवेति’

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* जीवन का सतत प्रवाह काल के तटों से टकराता,उन्हें ढहाता और पुनर्निर्माण करता बहता चला आ रहा है। हर बार की अलग छटा होती है,किन्तु…

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