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पाॅलिथीन की थैलियाँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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पाॅलिथीन की थैलियाँ,खाकर मरती गाय।
अब इन पर प्रतिबंध का,जल्दी करें उपाय॥

पाॅलिथीन की थैलियाँ,करती नाली जाम।
मच्छर जिससे पनपकर,जीना करें हराम॥

पाॅलिथीन की थैलियाँ,जले तो वायु भ्रष्ट।
भू के उर्वर तत्व भी,गड़कर करती नष्ट॥
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पाॅलिथीन की थैलियाँ,पैदा करती रोग।
हो सब खाद्य पदार्थ में,इनका बन्द प्रयोग॥
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पाॅलिथीन की थैलियाँ,प्रचलन से हों बन्द।
थैले जूट कपास के,सबकी बनें पसन्द॥
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पाॅलिथीन की थैलियाँ,हैं बिल्कुल बेकार।
प्रतिबन्धित इनको करे,जनहित में सरकार॥
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पाॅलिथीन की थैलियाँ,नहीं काम लें लोग।
स्वच्छ शहर निर्माण में,हो सबका सहयोग॥

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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