कुल पृष्ठ दर्शन : 175

You are currently viewing प्रतिमा

प्रतिमा

मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
*********************************************

एक मूर्तिकार,माँ की प्रतिमा को गढ़ रहा था…
असंख्य लोगों की आशाएँ…
आकांक्षाएँ मूर्ति में समेट रहा था,
आशान्वित है कि प्रतिमा बनेगी,
एक जीवित स्वरूप…
जो निहारे माँ का चेहरा,
उसे लागे रूप अनूप॥
सजीव छवि जब माँ की नज़र आए…
तभी तो माँ के चरणों में भक्त,
आशा का दीप जलाए…
धीरे-धीरे माँ की प्रतिमा,
अब हो गई थी तैयार…
पर रत्ती भर भी नज़र न आया,
उसे माँ की आँखों में कोई प्यार…।
मूर्तिकार ये देखकर अब तो,
होने लगा लाचार…
क्या करूँ जो आँखों में,
सिक्त हो जाता प्यार…!
सारा श्रम यूँ मेरा अब तो,
व्यर्थ ही हो जाएगा…
माँ की आँखों में यदि,
नेह नज़र न आएगा…।
तभी इस विकट परिस्थिति का,
अनायास हुआ समाधान…
मूर्तिकार की बेटी ने जब,
उसकी धोती को ली थाम…।
नन्हीं बेटी की आँखों में ही,
थी माँ की छवि समाई…।
सहसा प्रतिमा साकार हुई
माँ हौले से मुस्काई…॥

परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”

Leave a Reply