कुल पृष्ठ दर्शन : 323

You are currently viewing नहीं सृष्टि का मान

नहीं सृष्टि का मान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

**************************************************

नदिया घट-घट में फिरे।
सागर तट तक जाय॥
प्यास बुझाए जीव की।
जो भी लेता जाय॥

व्याकुल सागर हो गया।
लहरें रहा उछाल॥
नदियां बेचारी सभी।
सूख रहीं बेहाल॥

प्राणी सब बेहाल हैं।
दूषित है जलवायु॥
जीना दूभर हो गया।
चैन बिना हर आयु॥

बचपन बूढ़ा हो गया।
बूढ़े हैं बेजान॥
जीवन की साँसें घटी।
नहीं सृष्टि का मान॥

मिटते जाते वन सभी।
कटते जाते पेड़॥
नहीं अन्न खलिहान में।
नहीं खेत में मेड़॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply