कुल पृष्ठ दर्शन : 202

मराठी अनिवार्य होने से हिंदी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा-श्री पाटिल

आमदार ने शिक्षकों को दिलाया सदन में मुद्दा उठाने का भरोसा
मुंबई(महाराष्ट्र)।

हिंदी को लेकर आप सभी की चिंता जायज़ है। मैं यकीन दिलाता हूँ कि हिंदी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। मराठी का मूल्यांकन ग्रेड के रूप में किया जाएगा। आने वाले सत्र में यह मुद्दा सदन में उठाऊंगा।
परेल से १४ मार्च को शिक्षकों के शिष्टमंडल ने शिक्षक नेता आमदार कपिल पाटिल के कार्यालय शिक्षक भारती में जाकर हिंदी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की, जिसके जवाब में श्री पाटिल ने यह बात कही। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को सभी शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य कर दिया। इसमें आईसीएससी,सीबीएससी समेत सभी बोर्ड के विद्यालय शामिल हैं। पंजाब और कर्नाटक के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने अपनी प्रादेशिक भाषा को राज्य में अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय उनके लिए चिंताजनक है जिनकी सेवाएं स्थानांतरित होती रहती हैं। दूसरी ओर राज्य में हिंदी भाषा की अपनी स्थिति संदिग्ध है। ऐसे में शिक्षाविद् रामनयन दुबे के नेतृत्व में आईसीएससी और सीबीएससी के शिक्षकों ने आमदार कपिल पाटिल से मुलाकात की। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय हिंदी प्रतिष्ठान के संस्थापक अध्यक्ष नरेन्द्र शर्मा भी उपस्थित थे। उन्होंने कर्नाटक सरकार की भाषा सम्बन्धी नीतियों को साझा किया। श्री पाटिल ने शिक्षकों को बताया कि हिंदी को लेकर आप सभी की चिंता जायज़ है। मैं यकीन दिलाता हूँ कि हिंदी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। मराठी का मूल्यांकन ग्रेड के रूप में किया जाएगा।
दिनेश सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

Leave a Reply