कुल पृष्ठ दर्शन : 431

मासूम की समझ

रणदीप याज्ञिक ‘रण’ 
उरई(उत्तरप्रदेश)
********************************************************************
६ वर्षीय गुनगुन अपने विद्यालय का होमवर्क कर रही थी। होमवर्क में-केले के छिलके,सोता हुआ व्यक्ति और पैदल चलते व्यक्ति के चित्र बने थे,जिन्हें-कूड़ेदान,बैडरूम तथा फुटपाथ के चित्रों से पेन्सिल से मिलाना थाl गुनगुन ने पापा की मदद से उन्हें सही-सही मिला दिया,केले के छिलके-कूड़ेदान,बैडरूम-सोता हुआ व्यक्ति एवं फुटपाथ -चलता हुआ व्यक्तिl
सुबह होते ही गुनगुन पापा के साथ चार पहिया गाड़ी से विद्यालय के लिए निकली। तभी रास्ते में गुनगुन ने जो देखा,उसे देखने के बाद गुनगुन पापा से बोली-“पापा-पापा,मैं आज स्कूल नई जाऊँगीl टीचर गलत होमवर्क देख कर मारेगी।” पापा यह सुन कर हँसते हुए बोले- “बेटा ये स्कूल नहीं जाने का बहाना नहीं चलेगा,क्योंकि तुम्हारा होमवर्क एकदम सही है।”,लेकिन गुनगुन अपनी बात पर अड़ी रही और खिडक़ी की ओर ऊँगली से इशारा करते हुए पापा से बाहर देखने को कहा। पापा ने भी अपने और गुनगुन के कौतुहल को समाप्त करने हेतु खिड़की के बाहर का दृश्य जैसे ही देखा तो पापा ठहर से गए और खिड़की के बाहर देखते ही रह गए…क्योंकि सड़क के उस पार फुटपाथ पर कुछ गरीब बूढ़े व्यक्ति सो रहे थे। पापा जान चुके थे कि, गुनगुन होमवर्क में किस मिलान के बारे में कह रही है,जो उसे कहाँ गलत लग रहा है…l

परिचय–रणदीप कुमार याज्ञिक की जन्म तारीख १३ मई १९९५ है। साहित्यिक नाम `रण` से पहचाने जाने वाले श्री याज्ञिक वर्तमान में वाराणसी में हैं,जबकि स्थाई बसेरा उरई(जालौन)है। वर्तमान में एम.ए (द्वितीय वर्ष) के विद्यार्थी और कार्यक्षेत्र भी यही है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत अपने लेखन के माध्यम से विचारों का सम्प्रेषण करते हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,कविता, कहानी और लेख है। प्रकाशन के तहत वर्तमान में कार्य(बुन्देखण्ड से संबंधित इतिहास पर)जारी हैl रण की लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त रूढ़ियों को तोड़ना,अंधविश्वास को दूर करना, नागरिक बोध की समझ विकसित कराने के साथ-साथ निष्पक्ष सोच की मानसिकता को पैदा कराने का प्रयास है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-माता-पिता,शिक्षकगण तथा मित्रगण हैं।भाषा ज्ञान-हिन्दी,बुन्देलखण्डी एवं अंग्रेजी का रखते हैं। रुचि-लेखन,खेल और पुस्तकें पढ़ने में है।

Leave a Reply