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परिंदों को मिलेगी मंज़िल एक दिन..

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बात उन दिनों की है,जब मैं कुछ बच्चों को अभिनय सीखने में मदद कर रहा था। २०१२ की उस बैच में कुल १२ में से अभिनय के १ प्रशिक्षणार्थी अरमान श्रोत्रिय भी थे। उसमें से एक नौजवान बच्चा बोला था कि,मैं क्या हूँ यह पूरी दुनिया को मुंबई बताएगी।
उस नौजवान ने अपना प्रशिक्षण पूरा किया और मुंबई का रूख कर लिया था,जो था अरमान श्रोत्रिय।
अरमान ने इंदौर से अभिनय का डिप्लोमा किया और सीधे मुम्बई का रूख किया। देर से ही सही,पर कलाकार को सम्मान दिला कर उसके स्थान पर पहुँचने में मदद करती ही है मुम्बई।
अरमान ने संघर्ष के दिनों के शुरूआती दौर में ‘क्राइम पेट्रोल’,’सावधान इंडिया’ में अभिनय किया। फिर टीवी धारावाहिक ‘ये है मोहब्बतें’ में छोटा पर एहम किरदार किया। टीवी पर ही ‘पवित्र रिश्ता’, ‘गुड्डन तुमसे न हो पाएगा’ के साथ साथ कई लघु फिल्मों में अभिनय यात्रा जारी रखी।
एक वेब श्रंखला के लिए बाल और दाढ़ी बढ़ाई थी, वह तो न बन पाई परन्तु किरदार के प्रति अरमान का समर्पण बेकार न गया। बड़े बाल के चलते ‘केजीएफ-२’ में मुख्य किरदार यश के बॉडी डबल का पात्र निर्वहन किया। इसमें अरमान शूट के दौरान यश के साथ और पूरी शूटिंग से वाबस्ता रहे।
हाल ही में अरमान एक फ़िल्म की शूटिंग के लिए इंदौर आए हुए थे,तो बात हुई। अरमान ने अभिनय पर कहा कि,’अभिनय एक ऐसा झूठ है जिसे ईमानदारी और सच्चाई से निभाना पड़ता है।’
इंडस्ट्री में अरमान किसी समय सुशांत के रुममेट भी रहे हैं,तो ‘नेपोटिज्म’ पर भी उन्होंने विचार रखे। इनके मुताबिक ‘फ़िल्म स्टार के बच्चे वही सफल हुए हैं,जिनमें अभिनय क्षमता के साथ समर्पण था,वरना उनसे कई गुना ज्यादा गुमनामी झेल रहे हैं। जनता या दर्शक केवल उन्हें स्वीकारती है,जो अभिनय में पारंगत होते हैं,शेष खुद ही इक्का-दुक्का फिल्मों के बाद घर लग जाते हैं।’
अरमान ने ‘सैक्रेड गेम’ जैसी वेब श्रंखला की कास्टिंग भी बखूबी निभाई थी। अब अरमान दक्षिण की फ़िल्म शैली से प्रभावित है,और केजीएफ में बने नेटवर्क के तहत दक्षिण सिनेमा में कोशिश कर रहे हैं। मनोज वाजपेयी,के.के. मेनन, पंकज त्रिपाठी को ये आदर्श मानते हैं। इन अभिनेताओं की सहज अभिनय नैसर्गिक अभिनय शैली से प्रभावित हैं।
संघर्षरत अभिनेताओं के लिए अरमान बेहद भावुक दिखे। उन्होंने कहा कि,’काम सबके लिए होता है, बस आपको अपने काम तक पहुँचना होता है-
जो खैरात में मिलती कामयाबी
तो हर शख्स कामयाब होता,
फिर क़द्र न होती किसी हुनर की
न ही कोई शख्स लाजवाब होता।’

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंL आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंL १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैL आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंL

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