सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………
जय जय हे गणतंत्र हमारे,
जय जय भारत देश!
भिन्न-भिन्न भाषाएँ तेरी
भिन्न धर्म के लोग,
तरह-तरह की संस्कृतियों का
है तुझमें संयोग।
कहीं और दिखलाई पड़ता,
ऐसा ना परिवेश।
जय जय हे…l
निर्भय है आवाज तुम्हारी
निर्णय हैं निष्पक्ष,
आदर्शों का रूप अनुपम
तुम जग में प्रत्यक्ष।
जीते हो तुम सिर ऊँचाकर,
हर गुट से निरपेक्ष।
जय जय हे…l
एक देश है एक नियम है
एक तुम्हारा न्याय,
संविधान के पृष्ठ-पृष्ठ का
समता है अभिप्राय।
संप्रभुता का आदर करते,
तेरे सभी प्रदेश।
जय जय हे…l
रक्षा तेरी सदा करेंगे
गाएँगे जय गान,
बना तिरंगे को लेंगे हम
जीवन की पहचान।
नहीं जान देने में तुझ पर,
हिचकेंगे लवलेश।
जय जय हे…l
नहीं चाहते तुम दुनिया में
आपस में हो युद्ध,
मानवता के संवर्धन में
रहते सदा प्रबुद्ध।
दुःख सहकर भी हरते हो तुम,
मानवता के क्लेश।
जय जय हे…॥
परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl