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चलो मनाएं टीका-उत्सव

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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चलो मनाएं टीका-उत्सव,
युद्ध-कोरोना लड़ना है।
टीका लगाकर जीवन बचाएं,
तभी कोरोना पिछड़ना है।

मुँह मॉस्क और सोशल डिस्टेंस,
साबुन से हाथ धो-धोकर।
दो साल से युद्ध निरंतर,
मजबूत इरादे हो-होकर।
पलड़ा फिर भी उसका भारी,
दांव को अब तो पलटना है।
चलो मनाएं टीका-उत्सव,
युद्ध कोरोना लड़ना है।
टीका लगाकर जीवन बचाएं,
तभी कोरोना पिछड़ना है…॥

लॉकडाउन,मजदूर पलायन,
कई दुखों के दौर सहे।
एक लहर से उबर गए तो,
अगली लहरें और बहे।
जीवन नैया पलट ना जाए,
महामारी से उबरना है।
चलो मनाएं टीका-उत्सव,
युद्ध कोरोना लड़ना है।
टीका लगाकर जीवन बचाएं,
तभी कोरोना पिछड़ना है…॥

तीज-त्योहार,शादी बारातें,
लोग बने हैं लापरवाह।
नहीं मॉस्क और दो गज दूरी,
आप ही जीवन करे तबाह।
लोकतंत्र चुनावी उत्सव,
समय कठिन,पर गुजरना है।
चलो मनाएं टीका-उत्सव,
युद्ध कोरोना लड़ना है।
टीका लगाकर जीवन बचाएं,
तभी कोरोना पिछड़ना है…॥

कमर कसे कोरोना फाइटर,
शासन-प्रशासन हुआ सचेत।
पर लोगों की लापरवाही,
बने जान कर देखो अचेत।
चेतनता की ज्योत जलाकर,
सब मिल आगे बढ़ना है।
चलो मनाएं टीका-उत्सव,
युद्ध कोरोना लड़ना है।
टीका लगाकर जीवन बचाएं,
तभी कोरोना पिछड़ना है…॥

थक-निराश से बैठें हम ना,
कोरोना फिर हावी हो।
गुजर गया जो समय पुराना,
पुनः नहीं सम्भावी हो।
‘अजस्र’ की बस इतनी विनती,
टीके से अब नहीं डरना है।
चलो मनाएं टीका-उत्सव,
युद्ध कोरोना लड़ना है।
टीका लगाकर जीवन बचाएं,
तभी कोरोना पिछड़ना है…॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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