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जिन्दगी रोज़ सिखलाती है

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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जिन्दगी हमें हर मोड़ पर रोज़ आज़माती है,
कुछ नई रोज़ हमें बतलाती और सिखलाती है।
सुनते नहीं हम बात अंतरात्मा की अपने स्वार्थ में-
ईश्वरीय शक्तियाँ भी हमें यह बात जतलाती हैं॥

उम्मीद की ऊर्जा से अंधेरें में भी रोशनी कर सकते हैं,
भीतर के उजाले से हम मन मस्तिष्क भर सकते हैं।
जो कुछ करते हम दूसरों के लिए दुनिया में-
बस उसी सरोकार के सहारे हर जंग हम लड़ सकते हैं॥

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