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जल ही जीवन

डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

जल शब्द ही अपने-आपमें अनमोल है। ‘जल नहीं तो कल नहीं’,’जल से संवारे कल’ इतने नारे हम सुनते हैं,पर क्या हम जल को सहेजने का प्रयास करते हैं। गर्मी आते ही दुनिया में पेयजल का संकट सामने आता है।
आज मनुष्य को लगता है कि,जल की आवश्यकता केवल हमें ही है,उसे अन्य किसी प्राणी की परवाह नहीं। जल पेड़-पौधे,पशु-पक्षी सबके जीवन की रक्षा करता है।
मानव अस्तित्व के लिए जल से बढ़कर कोई भी बड़ा अनिवार्य संसाधन नहीं। मौजूदा समय में जल संरक्षण अति आवश्यक है। एशियाई विकास बैंक के अनुसार भारत में २०३० तक ५० फीसदी जल की कमी होगी। हम सबका दायित्व है जल को बचाना और बारिश के जल का संरक्षण करना। हम अपने परिवारों में ही जागृति लाएं,पानी की बरबादी को कैसे रोके। जहाँ तालाब,पोखर,कुएँ हैं,उनको पुराने स्वरुप में लाया जाए,जिससे जल संरक्षण हो सके। आज की बिडम्बना कि,पेयजल भी खरीद कर लेना पड़ रहा है। इतने पर भी हम नहीं समझेंगें तो शायद आने वाले समय में अन्य घरेलू कार्यों के लिए भी हमें जल पैसों से खरीदना पड़ेगा।

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