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प्यारा-सा बन्धन

डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

रमा आज बहुत खुश थी,कल उसकी मनु की शादी है। ऐसा लग रहा है शायद कभी और किसी की शादी ही ना हुई पहले। रमा बीते दिनों की यादों में खो गई… जब वह इस हवेली में शादी करके आई, तब बहुत रौनक थी। सास,जमींदार ससुर,दो प्यारी ननद और उसके पति देव अमन। बहुत से नौकर- खास कर चमेली जो उसकी हमउम्र थी। देवू काका की बेटी,जिससे रमा को सबसे अधिक अपनत्व मिला। चमेली नाम के अनुरूप ही खूबसूरत थी। कोई समझ ही नहीं सकता था कि वह इस हवेली के पुराने नौकर देवू काका की बेटी है। जमींदार साहब की तो शान-शौकत ही निराली थी। उसी माहौल में उनका बेटा अमन भी पला-बड़ा हुआ,पर अमन एक समझदार और शिक्षित नौजवान था। रमा से शादी होने पर वह अपने को बहुत भाग्यशाली मानता था।
रमा की बड़ी ननद की शादी पहले हो चुकी थी। अब छोटी ननद की शादी थी। सब रिश्तेदार आए हुए थे। अमन के दूर के रिश्ते का भाई अखिल भी आया हुआ था। वह आशिक मिजाज था,यह बात किसी को पता ना थी। २ दिन से उसकी नजर चमेली पर थी। आज शादी का माहौल,बारात आने का शोर..अखिल को शायद इससे अच्छा मौका क्या मिलता और उसने चमेली को अपनी हवस का शिकार बना लिया। वह बहुत रोई,पर उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी। शादी की गहमा-गहमी खत्म हो गई और उसी के साथ चमेली की हँसी भी शान्त हो गई। रमा ने उससे बहुत पूछा,पर उसने कुछ नहीं बताया। धीरे-धीरे उसमें शारीरिक परिवर्तन दिखाई देने लगे। बिना माँ की बेटी किससे कहे। देवू को कुछ शक हुआ। जब उसने अधिक डांट कर पूछा,तब वह रोने लगी। देवू काका रमा के पास आए और उन्होंने सारी बात बताई। जब चमेली को रमा ने प्यार से समझाते हुए पूछा,तब अपने साथ बीती बात बताई। रमा ने अमन को सारी बात बता कर शहर चलने को कहा। शहर में चिकित्सक ने बच्चा गिराने को मना कर दिया, कारण कि समय अधिक हो गया था। विचार हुआ कि अब शहर में रुका जाए। रमा चमेली को हर तरह खुश रखती। समय नजदीक आ रहा था। प्रसव दर्द शुरू हो गया। चमेली,रमा का हाथ नहीं छोड़ रही थी। जैसे ही बच्ची चिकित्सक के हाथ में आई,चमेली की साँस टूटने लगी। बोली,-‘भाभी मेरी बेटी अब तुम्हारी है। ये बात किसी को पता ना लगे मेरी बच्ची को भी नहीं।’ और हमेशा को सो गई। अमन और रमा दोनों ने प्रण किया कि इसको अपना ही नाम देंगे। गाँव में सब मनु को रमा की बेटी के नाम से जानते थे। मनु बहुत सुन्दर व बहुत होशियार थी। रमा के २ बेटे और हुए,उसका परिवार पूरा था।
उसी समय मनु ने आवाज दी,-‘माँ आप सो गई क्या! कल मैं आपको छोड़ कर चली जाऊंगी।’ रमा ने उसे सीने से चिपका लिया बोली,-‘गुड़िया तू कभी मेरे से दूर नहीं होगी।’ और उसे आगोश में सुला लिया।
सुबह बाहर आकर देखा,घर और गाँव की सब महिलाएं काम में लगी हँसी-ठठोली कर रही हैं, क्योंकि आज उसकी लाड़ली की हल्दी की रस्म जो होनी है। उसी समय सब महिलाओं ने गाना शुरू कर दिया,-मांडे के बीच बन्नो ने केश सुखाये,दादा तुम ऐसो वर ढूँढॊ तुम ऐसो वर ढूँढो,दादी लेगी कन्यादान कि बन्नो ने केश सुखाये…।
रमा अपनी आँखों में आई नमी को पोंछ कर सबके साथ काम में हाथ बंटाने लगी। ये माँ-बेटी का प्यारा-सा बन्धन था,शायद चमेली ऊपर से निहार रही होगी…।

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