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बहुत हुआ खेल अब

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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राम को जपो,श्याम को जपो,
जपो ब्रहमा विष्णु महेश को
पर मत छीनो लोगों से,
तुम उनके अधिकारों को।
राष्ट्र चरित्र का तुम सब,
कब करोगे निर्माण ?
बहुत हुआ खेल अब,
जाति-धर्म का देश में।
कुछ तो अब शरम करो,
देश के निर्माताओं
जरा गम्भीर होकर सोचो,
तुम सब इस मूल बात को।
कितने सारे त्यौहार,
एक तिथि पर पड़ते हैं
जो अलग होकर भी,
एक जैसे ही लगते हैं।
फिर क्यों धर्म के नाम पर,
नफरत के बीज बोते हो
और देश के भाईचारे को,
क्यों मिटाने पर तुले हो।
नहीं किया जब भेदभाव,
उस दुनिया को बनाने वाले ने
फिर तुम कैसे मिटा पाओगे,
उसकी बनाई दुनिया को।
क्यों लिया जन्म देवताओं ने,
भारत की इस भूमि पर
क्यों नहीं लिया जन्म,
उन्होंने किसी और देश में।
रघुपति राघव राजा राम,
पतित पावन सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सभी को बुध्दि दे भगवान।
सोच-विचार कर करो,
एकता वाले तुम काम।
तभी अमन-चैन-शांति,
स्थापित देश में हो पाएगी॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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