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हर ऋतु से जुदा वसन्ती

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष …..

महक रही चहुंओर पवन,
ऋतुराज वसंती ऋतु आई।
नित रोज़ खिले,उपवन माहीं,
हरियाली चहुंओर दिखाई।
तितली झूमत मधुकर चूमत,
रस खींचत पुष्पन इठलाई॥

रंगीन पुष्प सुन्दर सोभित,
है चमन क्यारी महकाए।
हर ऋतु से जुदा वसन्ती ऋतु,
मौसम की शोभा दर्शाए।
है कैसी ऋतु यह मस्तानी,
धारा धाम सब महकाए॥

सब ऋतुओं से जुदा सदा,
ऋतुराज बसंती माना है।
समासमी है मौसम जो,
अलग जिसका पैमाना है।
वर्णित जिसकी रौनक को,
कवियों ने लेख बखाना है॥

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