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मन का विश्वास

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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क्या बहुत
क़ीमती था वो ?
जिसके लिए,
तुमनें अनमोल
जीवन त्याग दिया।
आख़िर क्या था वो ?
नाम,रुतबा,दौलत!
या फ़िर
कोई हसीना,
विचार तो
किया होता,
क्या तुम्हारे
मरने से ये सब
तुम्हें हासिल
हो जाएगा ?
एक बार तो
जाकर पूछा होता,
जिनके पास
ये सब-कुछ है,
जिनका अभाव
तुम्हें खलता है,
क्या वो खुश हैं ?
नहीं…,
कोई खुश नहीं है,
ख़ुशी बाहर
पदार्थों में नहीं,
भीतर मन में है।
किसी भी स्थिति में,
कभी भी जीवन से
हारना नहीं,
कभी अपने
मन के विश्वास को,
कमज़ोर मत
पड़ने देना।
जगाओ अपने
अन्तर्मन में,
आत्म विश्वास की
अखण्ड ज्योत।
जीवन की राह
आसान हो जाएगी,
और…
मंजिल होगी
क़दमों में॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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