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श्री गणेशा

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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श्री गणेश चतुर्थी स्पर्धा विशेष…..

जय मंगलमूर्ति…श्री गणेशा,
जय विघ्न विनाशक,हरो कष्ट कलेशा।

संपूर्ण विश्व का उद्धार हो,
जीवन का आविर्भाव होl
विपदा में दुनिया है सारी,
बस तुम पर आस बंधी भारी।
जय मंगलमूर्ति….श्री गणेशा…

अब कोरोना का संहार हो,
जीवन का नवनिर्माण हो।
जय मंगलमूर्ति…श्री गणेशा।
जय विघ्न विनाशक,हरो कष्ट कलेशा।

सारी दुनिया थम-सी गई है,
तेरी करुणा जम-सी गई हैl
संकट में शुभ और लाभ है,
व्यवसायों से लक्ष्मी थम-सी गई है।
जय मंगलमूर्ति…श्री गणेशा…

करो कृपा अब कल्याण हो,
दरिद्रता का कुछ समाधान हो।
रिद्धि-सिद्धि का विस्तार हो,
कोरोना का पातक काल हो।
जय मंगलमूर्ति…श्री गणेशा…

जीवन का अब विकास हो,
चिंता का कुछ ह्रास हो।
शुभ काज का आविर्भाव हो,
नित-नव नवीन संसार हैl
जय मंगलमूर्ति…श्री गणेशा…ll

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैl ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैl आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैl पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंl सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैl आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंl समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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