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मेरे हमसफ़र

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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काव्य संग्रह हम और तुम से…..


मेरे हमसफ़र
मेरा प्यार…।
साथ तुम्हारा पाया है,
कटता कैसे तुम बिन,
इतनी कठिन ऐसी डगर।
ओ मेरे हमसफ़र…

छूटा जब बाबुल का आँगन,
संग तुम्हारे आ गई मैं
हर पल तुमने साथ दिया है,
मिलती रही नई डगर…।
मेरे हमसफ़र…

कितना भी उलझी रिश्तों में,
हर पल मुझे समझते रहे
अपनी आँखों से मुझको,
दुनिया तुम दिखलाते रहे
कटता रहा ये सफर…।
मेरे हमसफ़र…

मर्यादा में बंधी नारी,
कितना कुछ सह जाती है
पर चेहरे पर उसके,
शिकन तक नहीं आती है।
हँसती है सब सहकर…,
मेरे हमसफ़र…॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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