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नया जमाना

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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सोचता हूँ,कैसे परिभाषित करूँ नया जमाना,
जो गुजर गया,वह भी था कभी नया जमाना।

इस परिवर्तनशील समय और दुनिया में ही तो,
आने वाला हर नया कल है एक नया जमाना।
आवश्यकता के नये-नये हल भी खूब मिलेंगे,
पुराने जमाने की सीख से भी बने नया जमाना।

चिकित्सा सुविधाएं ज्यादा उन्नत,सुलभ होंगी,
पर योग,संयम,आहार-विहार मत भूल जाना।

संचार क्रान्ति पूरी तरह बदल देगी जीवन को,
पर प्रेम,दया,रिश्तों को नहीं बिसरा जाना।

औद्योगिक क्रांति का रोजगार पे नहीं हो असर,
असंभव हो जाएगा,बेरोजगारी को निपटाना।

नयी पीढ़ियाँ जिएंगी नयी स्वतंत्रता के साथ,
पर पड़ेगा उन्हें जीवन मूल्यों को भी समझाना।

विज्ञान विकास ना ले जाए विनाश की तरफ,
होगा एक कठिन काम विश्व में शांति बनाना।

मानव और प्रकृति का समन्वय है जमानों से,
प्रकृति और इसकी सम्पदा को भी है बचाना।

सारे काम हुआ करेंगें भविष्य में रोबोट से ही,
रोकना होगा दिलो-दिमाग का मशीन हो जाना।

तीज-त्यौहार की खुशियाँ खो जाएंगीं कहीं,
बस रह जाएगी औपचारिकताएं ही निभाना।

राजनीति में शुचिता की जरूरत हुई है अब,
वरना पड़ेगा आम आदमी को ही,बताना।

कई जमाने बीते हैं एक जमाने की चाह में,
काश कि सबसे अच्छा हो यह नया जमाना।

‘देवेश’ चाहता है कि ऐसा नया जमाना आए,
लोग ना कहें,लौट के नहीं आता वो जमाना॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।