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अभिनेता नहीं,अध्याय गुज़र गया…

इदरीस खत्री
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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इरफान खान अभिनय जगत का चाँद तो नहीं थे, परंतु सितारे से कम भी नहीं थे,नैसर्गिक अभिनय में चरम पर थेl उनसे बातचीत के दौरान मुझे कई बार बलराज साहनी की यादें ताज़ा हो रही थीl इरफान अभिनय की भट्टी में तप कर निकली हुई वह नायाब सोने की अंगूठी थे,जिसमें हर तरह का मोती बैठ जाता थाl इरफान ने नैसर्गिक अभिनय का जो परचम भारतीय सिनेमा के साथ हॉलीवुड सिनेमा में फहराया था,उस परचम की परछाई तक पहुँचना आज के अभिनेताओं के लिए मुश्किल ही होगाl
इरफान एक आम भारतीय का चेहरा रखते थे, लेकिन अभिनय में वह बब्बर शेर की मानिंद थे,एक ऐसा कलाकार जो हर किरदार को जीवंत बना देl
फ़िल्म `पान सिंह तोमर` का छोटा-सा दृश्य,जिसमें एक गरीब परिवार का किरदार कच्ची दीवार पर टँगे हाथ भर के आईने में अपने बाल सुलझाने के लिए कंघा उठाता हैl बड़ी नफासत से जल्दबाजी में उस कंघे की दांतों को उँगलियों से साफ करता है और बाल सुलझाकर निकल जाता हैl इसी फिल्म के लिए इरफान को फोन आया तिग्मांशु धूलिया का कि,-“अवार्ड जीतना चाहते हो तो मेरे पास एक पटकथा तैयार है,या आओ साथ में काम करते हैंl” फिर फ़िल्म बनी और अवार्ड भी मिलेl २०१२ के ६० वे राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में इरफान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया थाl २०११ में भारत सरकार ने `पद्मश्री` से भी नवाजा थाl फ़िल्म `हासिल` के लिए फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक का सम्मान भी मिला थाl फ़िल्म `हिंदी मीडियम` के लिए फ़िल्म फेयर भी मिला थाl
इरफान के पर्दे पर आते ही दर्शकों में एक अलग रोमांच देखने को मिलता था,यह उस अभिनेता की अदाकारी की दर्शकों के दिलों पर जीत की निशानी थीl मेरी इरफान से आखरी बातचीत मराठी फिल्म लेखक अमजद खान के साथ हुई थीl तब मैं और अमजद इंदौर में सक्रिय रंगकर्म कर रहे थेl तब २००७ में हम इंदौर में इरफान की अभिनय कार्यशाला लगाना चाहते थेl तब इरफान ने मुझे कहा कि,मुझे शाहरुख के साथ एक फ़िल्म मिल गई है,तो मैं उसमे मसरूफ हूँ,नहीं आ पाऊँगाl
एक छोटा-सा दृश्य याद दिला देता हूँ,जिससे आप इरफान के अभिनय की गहराई के साथ चरम का अंदाज़ा भी लगा सकते हैं-फ़िल्म `पान सिंह तोमर`
का छोटा-सा दॄश्य अभिनेता की बारीकी बयान कर गया हैl गरीब परिवारों में सबके कंघे अलग-अलग नहीं होते,पूरा परिवार एक ही कंघे से काम चलाता हैl यह इरफान के खुद के अभिनय के नियम ५ डब्ल्यू की बारीकी दिखाते हैंl
साहबज़ादे यासीन इरफान अली खान केवल अभिनेता नहीं,सिने जगत के अभिनय में अध्याय की तरह से थेl जयपुर के टोंक जिले के रईस जमींदार पठान परिवार में जन्मे तथा बचपन से क्रिकेटर बनने की ख्वाइश रखने वाले इरफान ने एक प्रयास में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर के प्रवेश पाया थाl पढ़ाई के दौरान ही वालिद का इंतकाल हो गया तो घर से आने वाली रकम बन्द हो गईl फिर फेलोशिप से अपनी उपाधि पूरी कीl यहाँ पढ़ाई के दौरान मीरा नायर ने उन्हें फ़िल्म `सलाम बॉम्बे` में एक किरदार के लिए चयनित भी किया,लेकिन फ़िल्म में काट-छाँट के चलते किरदार नगण्य हो गयाl पढ़ाई पूरी कर मुम्बई का रुख किया,टी.वी. धारावाहिक में काम भी मिलने लगाl चुनिंदा-भारत एक खोज, बनेगी अपनी बात,चंद्रकांता,वीर हनुमान,मानो या न मानो,टोक्यो ट्रायल,इन ट्रीटमेंट जैसे कई धारावाहिकों में काम किया,लेकिन टी.वी. पर काम करते-करते एक वक्त ऐसा आया कि इरफान सब-कुछ छोड़ कर चले जाना चाहते थेl वह एक जैसे अभिनय की बारम्बारता से ऊब चुके थेl इसी दौरान २००४ में फ़िल्म मिली `हासिल`,जिसकी वजह से आपको सर्वश्रेष्ठ खलनायक के फ़िल्म फेयर सम्मान से नवाजा गयाl
अब पर्दा बड़ा हो गया था,और इस अभिनेता की दौड़ तो चाँद-सितारों से आगे तक जाने की थीl हॉलीवुड के महान निर्देशक क्रिस्टोफर नॉलोन ने आपको फ़िल्म प्रस्तावित की,तब वह भारतीय फिल्म `लंच बॉक्स` में मसरूफ थे,इसके चलते उन्होंने मना कर दिया थाl
२०१८ में इरफान को न्यूरो इंट्रोक्राइम ट्यूमर का पता चल गया था,जिसका इलाज वह ले रहे थेl विदेश से इसका उपचार करवा कर लौटने पर `अंग्रेजी मीडियम` फ़िल्म मुकम्मल की,परन्तु इस फ़िल्म के प्रीमियर पर सेहत नासाज़ होने की वजह से हाज़िर न हो पाए थेl
इरफान के अभिनय में सौम्यता के साथ ऐसी दक्षता थी कि,दर्शक मोहित हुए बिना नहीं रह सकता थाl एक अभिनेता जिसको `सितारारत्व` कभी छू न पाया हो,परन्तु अपनी जुबान और बात का धनी हो,वह निश्चित ही सर्वश्रेष्ठ देकर जाता हैl इरफान आज हमारे बीच नहीं रहे,लेकिन उनकी अदाकारी उनको अमर बना गई हैl उनकी अदाकारी अभिनय के छात्रों के लिए द्रोणाचार्य का काम करेगीl विनम्र श्रद्धांजलि…l

परिचय : इंदौर शहर के अभिनय जगत में १९९३ से सतत रंगकर्म में इदरीस खत्री सक्रिय हैं,इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग १३० नाटक और १००० से ज्यादा शो में काम किया है। देअविवि के नाट्य दल को बतौर निर्देशक ११ बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में देने के साथ ही लगभग ३५ कार्यशालाएं,१० लघु फिल्म और ३ हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। आप इसी शहर में ही रहकर अभिनय अकादमी संचालित करते हैं,जहाँ प्रशिक्षण देते हैं। करीब दस साल से एक नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं। फिलहाल श्री खत्री मुम्बई के एक प्रोडक्शन हाउस में अभिनय प्रशिक्षक हैंl आप टीवी धारावाहिकों तथा फ़िल्म लेखन में सक्रिय हैंl १९ लघु फिल्मों में अभिनय कर चुके श्री खत्री का निवास इसी शहर में हैl आप वर्तमान में एक दैनिक समाचार-पत्र एवं पोर्टल में फ़िल्म सम्पादक के रूप में कार्यरत हैंl

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