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दर्द भरी यादें

गरिमा पंत 
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

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कुछ सूखे पत्ते किताबों में मिले,
तेरी याद दिला गए।
मेरे दिल की गहराइयों से पूछो,
कितना याद आते हो तुम,
अब तेरे बिन रहा जाता नहीं।
तुमसे हम कितना प्यार करते हैं
हर साँस में तुम बसे हो,
पास मेरे तुम थे
लगता था सब कुछ है मेरे पासl
जल्दी से आ जाओ तुम,
मेरी हर धड़कन बुलाती है।
चाँद को जब देखती हूँ
तो तुम्हारी याद आती है।
हमें बहुत तड़पाती है,
ख्वाबों में भी तुम आते हो।
मेरी नींद उड़ाते हो,
तुम्हारी यादों के सिवा कुछ याद नहीं अब
आ जाओ तुम वापसl
मेरी हर हर साँस बुलाती है,
तेरी याद बहुत दर्द जगाती हैll

परिचय-गरिमा पंत की जन्म तारीख-२६ अप्रैल १९७४ और जन्म स्थान देवरिया है। वर्तमान में लखनऊ में ही स्थाई निवास है। हिंदी-अंग्रेजी भाषा जानने वाली गरिमा पंत का संबंध उत्तर प्रदेश राज्य से है। शिक्षा-एम.बी.ए.और कार्यक्षेत्र-नौकरी(अध्यापिका)है। सामाजिक गतिविधि में सक्रिय गरिमा पंत की कई रचनाएँ समाचार पत्रों में छपी हैं। २००९ में किताब ‘स्वाति की बूंदें’ का प्रकाशन हुआ है। ब्लाग पर भी सक्रिय हैं।

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