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प्लास्टिक को त्यागें

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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अपनी ही करनी का फल तू,भुगत रहा इनसान,
तूने आज स्वयं का देखो कर डाला अवसान
तूने खोजित किया प्लास्टिक,हर कामों में साधा,
इसीलिए यह फैल रही है शुद्ध हवा में बाधा
आज ‘कोरोना’ लेकर आया,मौत की काली छाया,
लिपटी हुई आज प्लास्टिक में,मानव की तो काया।

मानव तू सचमुच अविवेकी,पैर कुल्हाड़ी मारी,
तेरी करनी से प्रकृति भी,आज दिख रही हारी
जगह-जगह पन्नी-थैली के,ढेर लगे हैं देखो,
अपनों कामों को मानव तू,आज स्वयं ही लेखो
आज इसी प्लास्टिक के कारण,दिन में हुआ उजाला,
मानव तूने निज हाथों ख़ुद,कर डाला मुँह काला।

कोरोना उत्पात मचाए,हर इक आतंकित है,
देख प्लास्टिक प्रेम हमारा,धरती भी क्रोधित है
क़ुदरत ने यूँ खेल दिखाया,मौत न छोड़े सबको,
देह ढँके फिरते हैं सारे,प्लास्टिक से ही अब तो
वक़्त कह रहा,थैले कपडे़ के हम सब अपनाएँ,
काँच शीशियाँ,काग़ज़ पैकिंग,के पथ हम फिर जाएँ।

आओ हम निज करनी को अब,नवल चेतना दे दें,
सोचें-समझें,और विचारें,नवल जागरण दे दें
वरना मिट जाएँगे हम सब,काल करे फरियादें,
करें और ना आज नष्ट हम,जीवन की बुनियादें।
किया जो हमने भुगत रहे हम,अब तो हम सब जागें,
बहुत हो चुका,प्लास्टिक से अब,दूर सभी हम भागें॥

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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