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राजनीति के ‘सदा मंत्री’ रहे पासवान

तारकेश कुमार ओझा
खड़गपुर(प. बंगाल )

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भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान का उदय किसी चमत्कार की तरह हुआ। १९८०-९० के दशक के दौरान स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह की प्रचंड लहर में हाजीपुर सीट से वे रिकॉर्ड मतों से जीते और केन्द्र में मंत्री बन गएl यानि जिस पीढ़ी के युवा एक अदद
रेलवे की नौकरी में जीवन की सार्थकता ढूंढ़ते थे,तब वे रेल मंत्री बन चुके थे। उन दिनों तब की जनता दल की सरकार बड़ी अस्थिर थी। एक के बाद प्रधानमंत्री बदलते रहे, लेकिन राम विलास पासवान को मानो केन्द्र में ‘सदा मंत्री’ का दर्जा प्राप्त था। हालांकि,दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि,उनसे पहले देश में किसी राजनेता को यह हैसियत हासिल नहीं थी। उनसे पहले यह दर्जा तत्कालीन मध्य प्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के विद्याचरण शुक्ल को प्राप्त था। उन्हें भी तकरीबन हर सरकार में मंत्री पद को सुशोभित करते देखा जाता था। बहरहाल,राम विलास जी के दौर में ज्योति बसु देश के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए और अप्रत्याशित रूप से पहले एचडी देवगौड़ा और फिर इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने। उस दौर में ऐसे-ऐसे नेता का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर उछलता कि लोग दंग रह जाते। एक बार तामिलनाडु के जी.के. मुपनार का नाम भी इस पद के लिए चर्चा में रहाl राम विलास जी का नाम भी बतौर प्रधानमंत्री गाहे-बगाहे सुना जाता। इसी दौर में १९९७ की एक सर्द शाम राम विलास पासवान हमारे क्षेत्र मेदिनीपुर के सांसद इंद्रजीत गुप्त के चुनाव प्रचार के लिए मेरे शहर खड़गपुर के गिरि मैदान आए। रेल मंत्री होने के चलते वे विशेष सेलून से खड़गपुर आए थे। मीडिया ने उनसे सवाल किया कि,क्या आप भी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं ? इस पर श्री पासवान का जवाब था कि हमारे यहां तो जिसे प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश होती है,वही पद छोड़ कर भागने लगता है...। दूसरी बार इनसे मुलाकात नवम्बर २००८ में जिले पश्चिम मेदिनीपुर के शालबनी में हुई। पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ वे फैक्ट्री का शिलान्यास करने आए थे। बहरहाल, कार्यक्रम के दौरान उनसे मुखातिब होने का मौका मिला। उन दिनों महाराष्ट्र में पर प्रांतीय और मराठी मानुष का मुद्दा गर्म था। मुद्दा छेड़ने पर दो टुक जवाब था कि,महाराष्ट्र में कोई यूपीए की सरकार तो है नहीं,लिहाजा सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए जिनकी राज्य में सरकार है। स्मृतियों को याद करते हुए बस इतना कहूंगा…-दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि…।

परिचय-तारकेश कुमार ओझा का नाम खड़गपुर में वरिष्ठ पत्रकार के रुप में जाना जाता है। आपका निवास पश्चिम बंगाल के खड़गपुर स्थित भगवानपुर (जिला पश्चिम मेदिनीपुर) में है। आपकी लेखन विधा अनुभव आधारित लेख,संस्मरण और सामान्य आलेख है।श्री ओझा का जन्म स्थान प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) हैL पश्चिम बंगाल निवासी श्री ओझा की शिक्षा बी.कॉम. हैL कार्यक्षेत्र में आप पत्रकारिता में होकर उप सम्पादक हैंL आपको मटुकधारी सिंह हिंदी पत्रकारिता पुरस्कार तथा श्रीमती लीलादेवी पुरस्कार के साथ ही बेस्ट ब्लॉगर के भी कई सम्मान मिल चुके हैंL आप ब्लॉग पर भी लिखते हैंL  

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