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मिट्टी का बदन

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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मिट्टी का बदन और साँसें बस उधार की हैं,
जाने घमंड किस चीज़ का,बात विचार की है।
आदमी बस इक किरायेदार,मेहमान कुछ दिन का-
नहीं उसकी हैसियत यहाँ पर जमींदार की हैll

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