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कजरी सब गाते हैं

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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सावन सुन्दर मौसम आया।
हर्षित मन सब है मुस्काया॥
पेड़ों पर झूले हैं लगते।
पिया मिलन को विरहिन सजते॥

लगती प्रेम झड़ी अँखियन में।
खुशियाँ उमड़ रही सखियन में॥
मिलकर कजरी सब गाते हैं।
अद्भुत आनन्द सुख पाते हैं॥

पिया मिलन की आस जगी है।
सावन में भी प्यास लगी है॥
कोयल भी अमुवा मुस्काते।
पीर हृदय में वही जगाते॥

सुन्दर सावन सरस सुहानी।
साजन बिन क्या बनी कहानी॥
प्रेम अगन हिय पर है लगती।
मोर पपिहरा भी कुछ कहती॥

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