कुल पृष्ठ दर्शन : 361

You are currently viewing राही…

राही…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ 
उदयपुर (राजस्थान)
******************************************

राही,
तुम पथ पर
सदैव ही
बढ़ते रहना।
थककर,
कहीं पर रूक
न जाना,
आँधी हो या
तूफान,
टकरा जाना।
घबराकर,
कभी विचलित
मत होना,
तुम्हारी मंजिल
पास हो
या बहुत दूर,
थम न
जाना तुम।
हो कर के यों,
मजबूर
मन में विश्वास की,
ज्योत को
जलाए रखना।
एक दिन,
मंजिल मिलेगी
ज़रूर…॥

परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित हिरणमगरी (राजस्थान)एवं स्थाई गोरजी फला ऋषभदेव जिला-उदयपुर(राज.)है। आपने हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर किया है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक का है।  सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं। श्री जैन की लेखन विधा-हाइकु,मुक्तक तथा गद्य काव्य है। लेखन में प्रेरणा पुंज-माता-पिता और धर्मपत्नी है। रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध व प्रचार-प्रसार करना है। 

Leave a Reply